नई दिल्ली: दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की बढ़ती दादागीरी से परेशान वियतनाम भारत की सबसे खतरनाक मिसाइल खरीदना चाहता है। चीन से तनाव के बीच भारत और वियतनाम की दोस्ती कुछ उसी तरह से आगे बढ़ रही है जैसे भारत को घेरने के लिए चीन और पाकिस्तान एक साथ आ गए हैं। वियतनाम भारत की सबसे खतरनाक ब्रह्मोस मिसाइल खरीदना चाहता है।
इस मिसाइल को रूस और भारत ने मिलकर बनाया है, इसलिए रूस की सहमति न होने से यह मिसाइल किसी भी तीसरे देश को नहीं दी जा रही थी। अब रूस ने इस मिसाइल के निर्यात की अनुमति दे दी है, इसलिए वियतनाम को ब्रह्मोस मिलने के बाद दक्षिण चीन सागर में चीन को थो़ड़ा संभलकर रहना होगा।
भारत के साथ रक्षा सहयोग में रूस ने दो बड़ी पहल की है। रूसी सरकार ने भारत के साथ मिलकर बनाई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को किसी तीसरे देश को निर्यात करने की अनुमति दे दी है। साथ ही, 100 रूसी रक्षा कंपनियों की सूची भी जारी की है जो भारत के साथ ब्रह्मोस जैसा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहती हैं।
वियतनाम ने इसके साथ ही आकाश एयर डिफेंस मिसाइलें भी खरीदने की इच्छा जाहिर की है। ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट में रूस की 50 फीसदी की हिस्सेदारी है, इसलिए मिसाइल के निर्यात के लिए उसकी अनुमति जरूरी थी। अगर डील हुई तो वियतनाम ये दोनों मिसाइलें अपने देश की सुरक्षा के लिए तैनात कर देगा।
बता दें कि चीन दक्षिण चीन सागर पर अपना सम्प्रभु दावा करता है जो इलाका हाइड्रोकार्बन का बड़ा स्रोत है। हालांकि, वियतनाम, फिलिपीन, ब्रुनेई सहित आसियान के कई सदस्यों देशों का इसके उलट दावा है। पिछले सप्ताह वियतनाम के राजदूत फाम सान्ह चाउ ने भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला को दक्षिण चीन सागर में बढ़े तनाव के बारे में जानकारी दी थी। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित बहुस्तरीय मंचों पर करीबी समन्वय बनाने पर सहमति व्यक्त की।