नई दिल्ली: चीन के 59 ऐप्स को बैन करने के फैसले पर भारत को अमेरिका का साथ मिला है। अमेरिका ने कहा है कि भारत ने अपने संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए ये सही फैसला लिया है। उधर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी ऐलान किया है कि सड़क और हाईवे के हर प्रोजेक्ट से चीनी कंपनियों को आउट किया जाएगा।
भारत के कड़े रुख ने चीन के होश ठिकाने लगा दिए हैं। चीन ने पहले भारत की दोस्ती देखी थी, स्वागत देखा था और अब गुस्सा देख रहा है। पहले दूरसंचार विभाग ने चीन को अपने प्रोजेक्ट से अलग किया, फिर रेलवे ने अपने आप को चीन से अलग किया और अब चीनी कंपनियों को हाइवे प्रोजेक्ट्स में भी काम नहीं मिलेगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ये फैसला किया है कि अब चीनी कंपनियों से कोई दोस्ती नहीं।
सरकार जल्दी ही हाईवे प्रोजेक्ट्स में चीनी कंपनियों को काम देने पर रोक लगाने वाली है। चीन की कंपनियों को ज्वाइंट वेंचर पार्टनर के तौर पर भी काम नहीं करने दिया जाएगा। नितिन गडकरी ने कहा, "सरकार जल्द ही एक पॉलिसी लाएगी और उसके बाद चीन को हर प्रोजेक्ट से किनारे कर दिया जाएगा। ये चीन पर अब तक की सबसे गहरी आर्थिक चोट होगी।"
सरकार जल्द ही बड़े हाईवे प्रोजेक्ट्स के लिए बीडिंग से जुडे प्रोसेस में बदलाव करने वाली है। कोशिश होगी कि बीडिंग प्रॉसेस में ज्यादा से ज्यादा भारतीय कंपनियां हिस्सा ले सकें। सरकार चीन के इंवेस्टर्स को भारत के माइक्रो, स्मॉल और मीडियम स्केल उद्योगों में निवेश करने से भी रोकने वाली है।
मौजूदा वक्त में कुछ परियोजनाओं में चीनी कंपनियां पहले से भागीदार हैं। इस बारे में एक सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि नया निर्णय मौजूदा और भविष्य के बीडिंग से जुडे प्रोसेस पर लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी परियोजना में शामिल कंपनी की सहयोगी चीनी कंपनी है तो उसके लिए पुन: टेंडर निकाली जाएगी। गडकरी ने कहा कि सरकार घरेलू कंपनियों के लिए नियमों को आसान कर रही है ताकि वह बड़ी परियोजनाओं के लिए बोली लगा सकें।
सरकार की पूरी कोशिश है कि चीन को हर तरीके से बता देना है कि उसने भारत को छेड़कर कितनी बड़ी भूल कर दी है। पहले 59 एप बैन किया गया और अब बैन किए गए Weibo में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना अकाउंट भी बंद कर दिया। कुल मिलाकर चीन को घेरने के लिए सरकार चौतरफा नीति पर काम कर रही है।