नयी दिल्ली: नेपाली संसद में देश के नए मानचित्र संबंधी संविधान संशोधन पर मतदान होने पहले भारत ने मैत्रीपूर्ण लहजे में बृहस्पतिवार को कहा कि वह नेपाल के साथ अपने दोस्ताना संबंधों को गहरी अहमियत देता है। भारत की कड़ी आपत्ति के बावजूद नेपाली संसद में शनिवार को नए मानचित्र पर मतदान संभव है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया है। भारत ने आपत्ति जताई है और बार-बार कहा है कि यह तीनों उसके हिस्से हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “हमने इन विषयों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। भारत नेपाल के साथ अपने सांस्कृतिक और दोस्ताना संबंधों को गहरी अहमियत देता है।” ऑनलाइन माध्यम से मीडिया को संबोधित करने के दौरान इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर श्रीवास्तव ने कहा, “हमारी बहुआयामी द्विपक्षीय साझेदारी में हाल के वर्षों में विस्तार हुआ है और विविधता आई है। इसके साथ ही भारत की सहायता से मानवीय, विकास और संपर्क परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।”
इस सप्ताह की शुरुआत में नेपाली संसद ने एकमत से उस प्रस्ताव को समर्थन दिया था जिसके तहत संविधान संशोधन विधेयक द्वारा नए मानचित्र को स्वीकृति मिलनी है। बृहस्पतिवार को की गई टिप्पणी में श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल के तहत क्षेत्र में कोविड-19 से मुकाबले के लिए भारत ने नेपाल समेत मित्र देशों की सहायता की।
श्रीवास्तव ने कहा, “भारत ने नेपाल को सभी प्रकार की तकनीकी, चिकित्सकीय और मानवीय सहायता उपलब्ध कराई। हमने नेपाल को 25 टन चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जिसमें पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साथ जांच उपकरण भी शामिल थे।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भारत सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि दोनों देशों में लॉकडाउन के बावजूद नेपाल को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में कोई बाधा न पहुंचे। भारत ने फंसे हुए नेपाली नागरिकों को वापस भेजने में भी सहायता की।”