नई दिल्ली: नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश इतिहास के सबसे बड़े जल संकट के दौर से गुजर रहा है और इससे लाखों लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने नीति आयोग का जल प्रबंधन इंडेक्स जारी किया है जिसमें यह जानकारी सामने आई है। जून में प्रकाशित नीति आयोग की जल प्रबंधन इंडेक्स के मुताबिक करीब दो लाख लोग हर साल पीने का स्वच्छ पानी नहीं मिलने के कारण असमय मौत के आगोश में चले जाते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक करीब 60 करोड़ लोग पानी की भयंकर कमी से जूझ रहे हैं। करीब 75 फीसदी घरों में पीने का पानी नहीं मिल पाता है। 84 फीसदी ग्रामीण घरों में पीने का पानी पाइप से नहीं पहुंच पाता है।
वाटर रिसोर्स मंत्रालय ने अधीन काम कर रहे नेशनल कमीशन फॉर इंटीग्रेटेड वाटर रिपोर्स डेवलपमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक देश में पानी का उपयोग कई गुना बढ़ जाने का अनुमान है जो तकरीबन 1180 बिलियन क्यूबिक मीटर हो सकता है। देश में अपनी की मौजूदा उपलब्धता केवल 695 क्यूबिक मीटर है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में 70 फीसदी पानी पीने लायक नहीं रह गया है। नीति आयोग की रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि आनेवाले दिनों में जलसंकट और गहरा होगा। 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध आपूर्ति की तुलना में दोगुनी हो जाएगी। लाखों लोगों के लिए जलसंकट की स्थिति पैदा जाएगी।
नीति आयोग ने वाटर मैनेजमेंट के क्षेत्र में राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए आज उनकी रैंकिंग जारी की है। आयोग की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि गुजरात पहले स्थान पर है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश तीसरे नंबर पर, चौथे नंबर पर त्रिपुरा, हरियाणा पांचवें नंबर पर और महाराष्ट्र छठे नंबर पर है। लेकिन खराब जल प्रबंधन के मामले में झारखंड पहले स्थान पर है।