चेन्नई: देश के चौथे नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1डी को अंतरिक्ष में छोड़ने की तैयारी पूरी हो गई है। इस उपग्रह को लेकर भारतीय रॉकेट शनिवार शाम 5.19 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष के लिए प्रस्थान करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि शनिवार तड़के रॉकेट के दूसरे चरण में ईंधन भरने का काम पूरा हो गया और उसके बाद उसे छोड़े जाने की उल्टी गिनती सुगमता से जारी है।
साढ़े 59 घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार सुबह 5.49 बजे शुरू हुई थी।
अपने प्रस्थान के लगभग 20 मिनट के अंदर रॉकेट यानी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-27) पृथ्वी से करीब 506 किलोमीटर दूर जाने के बाद भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस)-1डी को अलग कर देगा।
इसके बाद उपग्रह अपने गंतव्य की ओर अग्रसर होगा।
भारत ने इस क्षेत्र एवं देशभर के उपभोक्ताओं को स्थान की सटीक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अब तक सात उपग्रहों की श्रंखला के हिस्से के रूप में तीन क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह छोड़ चुके हैं। इससे लोगों को 1,500 किलोमीटर तक के क्षेत्र की जानकारी मिल सकती है।
इससे पहले प्रक्षेपित तीन उपग्रह सही तरीके से काम कर रहे हैं।
प्रत्येक उपग्रह की लागत करीब 150 करोड़ रुपये होती है, जबकि पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण के रॉकेट को विकसित करने में 130 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सातों उपग्रह के लिए 910 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
इसरो के अनुसार, आईआरएनएसएस श्रृंखला के सातों उपग्रहों के छोड़ने का कार्य साल के अंत तक पूरा हो जाएगा।