नई दिल्ली. नेपाल की वर्तमान सरकार चीन की शह आजकल बिना वजह के भारत से उलझने की मूड में लग रही है। सीमा से लेकर इतिहास और महापुरुषों तक पर नेपाल अब अपना अपना बताने लगा है। भगवान राम के बाद अब नेपाल ने भगवान बुद्ध पर विवाद पैदा करने की कोशिश की है, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसबार भी समझदारी दिखाते हुए बड़े भाई की तरह नेपाल के साथ किसी विवाद में न पड़ने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि CII कार्यक्रम में विदेश मंत्री की टिप्पणी ने हमारी साझा बौद्ध विरासत को संदर्भित किया था। इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि गौतमबुद्ध लुंबिनी में पैदा हुए थे, जो नेपाल का हिस्सा है।
दरअसल नेपाल के विदेश मंत्रालय ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान पर आपत्ति जताई थी, जिसमें उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी दो ऐसे भारतीय महापुरुष हैं जिन्हें दुनिया हमेशा याद रखती है। इसके बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्यों से सिद्ध और सुस्थापित तथ्य है कि गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी, नेपाल में हुआ था। लुंबिनी, बुद्ध का जन्मस्थान, बौद्ध धर्म का उद्गम स्थल है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि साल 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी नेपाल यात्रा के दौरान नेपाल की संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि नेपाल वह देश है, जहां विश्व में शांति का प्रतीक बुद्ध का जन्म हुआ था।