जहांगीर का खजाना: राजस्थान से 150 किलोमीटर दूर अलवर का किला मौजूद है। इलाके में प्रचलित कहानियों के मुताबिक मुगल शहंशाह जहांगीर अपने निर्वासन के दौरान अलवर में रहा था। इस दौरान जहांगीर ने अपना खजाना यहां किसी गुप्त जगह पर छिपा दिया था। कई लोग मानते हैं कि यह खजाना अभी भी अलवर में कहीं दबा हुआ है।
श्री मोक्कम्बिका मंदिर का खजाना: कर्नाटक के पश्चिमी घाट में कोलूर में स्थित मोक्कम्बिका मंदिर में भी खजाना होने की बात कही जाती है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक मंदिर में सांपों के खास निशान बने हुए हैं। भारतीय मान्यताओं के मुताबिक छिपे हुए खजानों की रक्षा सांप करते हैं। ऐसे में पुराने समय में खजाना छिपाने वाले ऐसे चिह्न बनाते थे। इससे मंदिर से जुड़े लोगों को संकेत और चेतावनी दोनों मिल जाए। इस खजाने का अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है कि मंदिर में रखे जवाहरात की कीमत 100 करोड़ रुपए आंकी गई है। अभी तक खजाने का कोई सुराग नहीं मिला है।
राजा मान सिंह का खजाना: मान सिंह प्रथम अकबर के दरबार में ऊंचे ओहदे पर थे। 1580 में मान सिंह ने अफगानिस्तान पर जीत हासिल की थी। माना जाता है कि इस जीत में मिले खजाने को मान सिंह ने किसी स्थान पर छिपा दिया था। यह कहानी कितनी ठोस थी, इसका पता इस बात से चलता है कि आजादी के बाद इमरजेंसी के दौरान तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस खजाने को खोजने का आदेश दिया था। इसको लेकर लंबे समय तक सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी हुए थे। आधिकारिक रूप से यह खजाना अभी भी किस्से कहानियों का हिस्सा बना हुआ है और माना जाता है कि यह अभी भी किसी गुप्त स्थान पर छिपा हुआ है।
मीर उस्मान अली का खजाना: हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अपने समय के सबसे धनी व्यक्ति थे। साल 1937 में प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बताया था। उन्होंने अपने शासनकाल में काफी धन-संपदा जमा की थी। कहा जाता है कि किंग कोठी पैलेस के अंडरग्राउंड कमरे में उन्होंने अपनी सारी दौलत को छुपाया था। उनके खजाने में बेशकीमती हीरे, जवाहरात, रूबी, नीलम जैसे बहुमूल्य रत्न थे। उनकी मौत के साथ खजाने का राज भी दफन हो गया।
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