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ये हैं भारत के रहस्यमयी खजाने जिनकी खोज अभी है बाकी...

भारत में ऐसे कई खजाने हैं, जिनकी तलाश करनी अभी भी बाकी है। हम आपको देश के ऐसे ही कुछ खजानों के बारे में बता रहे है जिन्हें लेकर कई तरह की किवदंतिया आज भी प्रचलित है...

India TV News Desk
Published on: May 19, 2017 10:42 IST
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नई दिल्ली: एक समय था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, मगर भारत को विदेशियों ने इतनी बार लूटा कि यहां का सारा खजाना खत्म हो गया। यही दौलत दुनिया भर के हमलावरों को भी अपनी ओर खींचती थी। इसीलिए उस दौर के राजा अपने खजानों को बचाने के लिए इनसे जुड़ी जानकारियां गुप्त रखते थे। उस दौरान कई क्रूर आक्रमणकारी भले ही राजाओं की सत्ता छीनने में कामयाब रहे, लेकिन वे कई छिपे हुए खजानों को हासिल नहीं कर सके। (ये भी पढ़ें: चंद्रशेखर ने मुझे धोखा दिया, मैं 21 मौतों के लिए जिम्मेदार: अमरिंदर)

भारत में ऐसे कई खजाने हैं, जिनकी तलाश करनी अभी भी बाकी है। हम आपको देश के ऐसे ही कुछ खजानों के बारे में बता रहे है जिन्हें लेकर कई तरह की किवदंतिया आज भी प्रचलित है...

नादिर शाह का खजाना: नादिर शाह ने 1739 में भारत पर हमला कर दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। इस हमले में न केवल हजारों निर्दोष लोग मारे गए थे, बल्कि नादिर शाह पूरी दिल्ली को भी लूटकर ले गया था। लूटे गए खजाने में मयूर तख्त और कोहिनूर के साथ लाखों की संख्या में सोने के सिक्के और बड़ी मात्रा में जवाहरात थे। सालों से चली आ रही कहानियों के मुताबिक माना जाता है कि युद्ध के उस माहौल में नादिर शाह पूरे खजाने पर अपनी नजर नहीं रख पाया। वापस जाते वक्त नादिर शाह के काफिले से जुड़े बड़े अफसर और सिपहसालारों ने इस खजाने का काफी हिस्सा छिपा दिया। इस बेशकीमती खजाने को अभी भी खोजा जाना बाकी है।

कृष्णा नदी का खजाना: आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कृष्णा नदी के तटीय इलाके काफी समय से अपने हीरों के लिए प्रसिद्ध थे। एक समय में यह इलाका गोलकुंडा राज्य में शामिल था। विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी यहीं की खदानों से निकाला गया था। माना जाता है कि इलाके में कृष्णा नदी के तट पर कई हीरे खोजे जाने का इंतजार कर रहे हैं।

बिम्बिसार का खजाना: ईसा पूर्व पांचवी शताब्दी में बिम्बिसार मगध का राजा था। इसके बाद ही मौर्य साम्राज्य का विस्तार शुरू हुआ था। माना जाता है कि बिहार के राजगीर में बिम्बिसार का खजाना छिपा हुआ है। यहां पर स्थित दो गुफाओं (सोन भंडार गुफा) में पुरानी लिपि में कुछ लिखा हुआ है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। माना जाता है कि इसमें ही खजाने से जुड़े संकेत छिपे हो सकते हैं। खजाने से जुड़े संकेत इतने ठोस थे कि अग्रेजों ने इस खजाने को खोजने के लिए तोप का सहारा लिया लेकिन असफल रहे थे। लोगों के मुताबिक संभव है कि यहां लिखे संकेतों से कहीं और छिपे खजाने का नक्शा मिल सके।

अगले स्लाइड में जानते हैं राजा मान सिंह के खजाने के बारे में......

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