नई दिल्ली: भारत और रूस ने शुक्रवार को उन्नत ईंधन से लैस नवीनतम वीवीईआर-1200 श्रेणी के रिएक्टरों के साथ भारत में नई परमाणु विद्युत परियोजनाओं में सहयोग के एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 19वें भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर बैठक से इतर परमाणु के क्षेत्र में सहयोग के लिए प्राथमिकता व क्रियान्वयन के मद्देनजर कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए गए।
यह समझौता तमिलनाडु में मौजूदा 6,000 मेगावाट की कुडनकुलम परियोजना के समानांतर छह रिएक्टरों की स्थापना के लिए किया गया है, जिसके लिए स्थल अभी तय होने हैं।दोनों देशों ने कुडनकुलम के बाद दूसरी परमाणु विद्युत परियोजनाओं के लिए सहमति जताई है, जिसके अंतर्गत पहले की पीढ़ी के 1000 मेगावाट क्षमता वाले छह वीवीईआर का निर्माण किया गया था। वीवीईआर-1200 में वीवीईआर-1000 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा क्षमता है।
कुडनकुलम परियोजना के लिए सलाहकार और सामग्री आपूर्तिकर्ता 'रसियन स्टेट एटोमिक इनर्जी कॉरपोरेशन, रोसएटम' ने एक बयान में कहा, "दोनों देश भारत में नई जगह पर रूसी डिजाइन के छह नई परमाणु विद्युत इकाइयों की परियोजना को लागू करने पर विचार कर रहे हैं। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निर्माण के अलावा दोनों देश परमाणु प्रौद्योगिकी के नए आशाजनक क्षेत्र में तीसरे देशों में सहयोग करेंगे।"भारत के परमाणु विद्युत विभाग के सचिव कमलेश व्यास और रोसएटम के महानिदेशक एलेक्सी लिखाचेव के बीच कार्य योजना दस्तावेज पर हस्ताक्षर हुए।
लिखाचेव ने एक बयान में कहा, "रूस नई परमाणु परियोजना के लिए जनरेशन '3प्लस' की विकासपरक वीवीईआर-120 प्रौद्योगिकी समाधानों को पेश करेगा और यह 'मेक इन इंडिया' नीति की रूपरेखा के अंतर्गत परमाणु विद्युत संयंत्रों के लिए भारतीय उद्योग की भागीदारी के स्तर को बढ़ाएगा और सामग्रियों के विनिर्माण का स्थानीयकरण करेगा।" उन्होंने कहा, "हम भारत के साथ रणनीतिक सहयोग से संतुष्ट हैं, जहां हमने कुडनकुलम में रूसी डिजाइन की कई इकाइयों के सिलसिलेवार निर्माण को अंजाम दिया। हम इसी तरह से भारत में नए स्थलों पर हमारी डिजाइन के कई निर्माणों के अनुबंधों पर भरोसा कर रहे हैं।"
लिखाचेव ने कहा, "यह 'मेक इन इंडिया' नीति की रूपरेखा के अंतर्गत निश्चित ही परमाणु विद्युत संयंत्रों के लिए भारतीय उद्योग की भागीदारी और सामग्रियों के विनिर्माण के स्थानीयकरण को बढ़ाएगा। इसके अलावा भारत भरोसेमंद साथी है, जिसके साथ हमने तीसरे देशों में परियोजनाओं को पहले से ही शुरू किया है और हम इस सहयोग को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।"
समझौते के बारे में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर राममूर्ति राजारमन ने कहा कि रूस ही एकमात्र देश है, जिसने भारत के असैन्य परमाणु क्षतिपूर्ति उत्तरदायित्व कानून की वजह से विदेशी आपूर्तिकर्ता द्वारा उठाए गए सवाल के बावजूद सफलतापूर्वक परमाणु विद्युत संयंत्र लगाए हैं। उन्होंने कहा कि रूस भारत के 2008 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह(एनएसजी) में शामिल होने से पहले से ही भारत को इस क्षेत्र में सहयोग कर रहा है। भारत रूस के साथ मिलकर बांग्लादेश के रूपपुर में उसके पहले परमाणु संयंत्र के निर्माण में सहयोग कर रहा है।