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आपातकाल देश का 'काला दौर' था: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी ने 25 जून, 1975 को लगाए गए आपातकाल का दृढ़ता से विरोध करने वाले नागरिकों के जज्बे को सराहा। उन्होंने कहा, "मैं उन सभी महान महिलाओं और पुरुषों के साहस को सलाम करता हूं जिन्होंने 43 साल पहले लगाए गए आपातकाल का दृढ़ता से विरोध किया था।"

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 26, 2018 14:08 IST
आपातकाल देश का 'काला दौर' था: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी- India TV Hindi
आपातकाल देश का 'काला दौर' था: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि 1975-77 का आपातकाल 'काला दौर' था, जिसे देश कभी भूल नहीं सकता। मोदी ने लेखन, बहस, विचार-विमर्श और सवालों के जरिए लोकतंत्र को मजबूत बनाने का आह्रान किया। मोदी ने कहा, "भारत आपातकाल को काले दौर के रूप में याद करता है, जिसके दौरान हर संस्थान को नष्ट कर दिया गया और डर का माहौल पैदा किया गया। सिर्फ लोगों को ही नहीं बल्कि विचारों और कलात्मक स्वतंत्रता पर भी बंदिश लगाई गई।"

मोदी ने 25 जून, 1975 को लगाए गए आपातकाल का दृढ़ता से विरोध करने वाले नागरिकों के जज्बे को सराहा। उन्होंने कहा, "मैं उन सभी महान महिलाओं और पुरुषों के साहस को सलाम करता हूं जिन्होंने 43 साल पहले लगाए गए आपातकाल का दृढ़ता से विरोध किया था।" मोदी ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।

LIVE अपडेट्स

-मुस्लिमों और दलितों में काल्पनिक भय पैदा किया गया

-जिन्होंने संविधान को एक प्रकार से पूरी तरह कुचल दिया, वे आज दुनिया में भय पैदा कर रहे हैं कि मोदी है, संविधान खत्म कर देगा
-मुसलमानों को संघ के नाम पर डराया गया
-गायक किशोर कुमार को कांग्रेस ने गाने के लिए बुलाया। उन्होंने मना कर दिया। बस उनका इतना ही गुनाह था कि देश के रेडियो पर से उनको बैन कर दिया गया
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान मीडिया को डराया गया
-बहुत कम लोग थे जो वाणी स्वातंत्र्य के लिए, अखबार की आजादी के लिए, संघर्ष का रास्ता चुनने के लिए मैदान में आए थे
-जो कभी 400 लेकर बैठे थे, पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही परिवार का राज चलता था, वे 400 से 44 पर आ गए
-आपातकाल में न्यायपालिका को भी भयभीत किया गया
-जब स्व सुख के लिए स्वयं के दल को तबाह कर दिया गया, उसी दिन संकेत मिल चुके थे कि इनके लिए परंपराएं, मूल्य, देश, लोकतंत्र, संविधान कोई मायने नहीं रखता है
-वह कौन सी मानसिकता होगी, जिसने सत्ता सुख के लिए अपनी स्वयं की कांग्रेस पार्टी के टुकड़े कर दिए हों। ऐसे लोगों में लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा कैसे हो सकता है
-जब-जब कांग्रेस पार्टी को और खासकर इस परिवार को अपनी कुर्सी जाने का संकट महसूस हुआ है, उन्होंने चिल्लाना शुरू किया है कि देश संकट से गुजर रहा है, देश में भय का माहौल है, देश तबाह हो जाने वाला है और सिर्फ हम ही बचा सकते हैं
-संविधान का कैसे दुरुपयोग किया जा सकता है। संविधान का एक परिवार के लिए किस प्रकार से हथकंडे के रूप में, साधन के रूप में, उपयोग किया जाता है, शायद ही ऐसा कोई उदाहरण कहीं मिल सकता है
-देश ने कभी सोचा तक नहीं था कि सत्ता सुख के मोह में, परिवार भक्ति के पागलपन में, लोकतंत्र और संविधान की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग हिंदुस्तान को जेलखाना बना देंगे
-हम स्वयं को भी प्रति पल संविधान के प्रति समर्पण, लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता, हर पल अपने आपको सज्ज रखने के लिए भी इसका स्मरण करते हैं
-हम देश की वर्तमान और भावी पीढ़ी को जागरूक करना चाहते हैं
-इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर ये जो काला धब्बा लगा है उसके माध्यम से इस पाप को करने वाली कांग्रेस पार्टी और उस समय की सरकार, उनकी आलोचना करने मात्र के लिए हम काला दिन नहीं मनाते हैं
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपातकाल के विरुद्ध मुंबई में बीजेपी के काला दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे हैं

मोदी ने कहा,"हमें अपने लोकतांत्रिक लोकाचार को मजबूत करने के लिए निरतंर काम करन होगा। लेखन, बहस, चर्चा और सवाल हमारे लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पहलू हैं जिन पर हमें गर्व है। कोई भी ताकत हमारे संविधान के बुनियादी सिद्धांतों को कमजोर नहीं कर सकती।" देश में आपातकाल 21 मार्च, 1977 तक रहा था। इसके बाद हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार को करारी हार का सामना करना पड़ा था।

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