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बारिश, बाढ़ और आफत: चारों दिशाओं में जल'कहर', हर साल होता है करीब 525 अरब रुपये से अधिक का नुकसान

मोदी सरकार बाढ़ से बचने के लिये नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट पर काम रही है। पांच लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की इस परियोजना के तहत भारत की बड़ी नदियों को आपस में जोड़ा जाना है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 20, 2020 21:02 IST

नई दिल्ली। बुधवार (19 अगस्त) से हो रही लगातार बारिश ने दिल्ली-एनसीआर के ड्रैनेज सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है। बारिश का पानी सड़कों, अंडरपास पर तो जमा हो ही रहा है। अब रिहायशी इलाकों में भी वॉटर लॉगिंग के चलते हालात बदतर हो गए हैं। दिल्ली, गुरुग्राम, जयपुर, मंबई और पटना जैसे देश के बड़े शहरों के अलग-अलग इलाकों से हैरान करने वाली कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चौंकाने वाली तस्वीरें दिल्ली-गुरुग्राम से सामने आ रही हैं।

कई शहरों में अंडरपास पानी में डूबे

गरजते बादल और आसमान से बरसती बारिश ने देश के महानगरों का बुरा हाल कर दिया है। शहर के शहर टापू बन गए हैं, मकान-दुकान-सड़क-अंडरपास सब पर पानी का कब्जा है। बारिश और सैलाब का अटैक देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर पर हुआ है। दिल्ली-एनसीआर में कल (19 अगस्त) से ही बारिश का दौर जारी है। कुछ घंटों की बारिश के बाद बेहद हैरान करने वाली तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं। कई बड़े महानगरों और शहरों में सड़कें दरिया में तब्दील हो गई हैं। अंडरपास पानी से लबालब भरे हैं और उसका साइडअफेक्ट ये है कि लंबे-लंबे जाम लग गए हैं। गुरुग्राम के कुछ इलाकों में सड़कों पर पानी भरने के बाद बोट भी चलने लगी है। दिल्ली के पॉश इलाकों से लेकर पुरानी दिल्ली के इलाकों में इस वक्त बारिश का पानी लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है।

बारिश के बाद ट्रैफिक जाम ने किया बुरा हाल

दिल्ली के महरौली-बदरपुर रोड पर पुल प्रह्लादपुर अंडरपास में पानी भर गया है और उसमें एक बस फंस गई। वहीं अंबेडकरनगर में सड़कों पर पानी भर गया है। बारिश के बाद पानी भरने से आईटीओ और मोती बाग समेत कई जगह ट्रैफिक जाम के हालात हैं। बारिश के प्रचंड प्रहार की मार सिर्फ दिल्ली एनसीआर पर ही नहीं पड़ी है। बिहार की राजधानी पटना का भी बुरा हाल है। पिंक सिटी जयपुर में बारिश ने कुछ ऐसा हाल कर दिया है कि सड़क पर पानी की धार और रफ्तार ऐसी है जैसे दरिया हो।

अभी अगले 5 से 6 दिन जारी रहेगा बारिश का दौर

मौसम विभाग के मुताबिक, बारिश का ये दौर अगले 5-6 दिन तक जारी रहने वाला है। अभी ये हाल है तो अगले 5-6 दिन आसमान से ऐसे ही आफत बरसती रही तो शहर की शक्ल-ओ-सूरत कैसी होगी। इसका आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। दिल्ली एनसीआर ही नहीं इस वक्त आधा हिंदुस्तान आसमानी आफत से परेशान है। पहाड़ों पर बारिश के बाद बरसाती नाले और झरने उफान पर हैं तो मैदानी इलाकों में घरों में पानी घुस गया है। ईस्ट-वेस्ट-नॉर्थ से लेकर साउथ तक देश में बारिश और बाढ़ का कहर जारी है।

पहाड़ों में पानी ने मचाया हाहाकार

पहाड़ों पर भी तेज बारिश हो रही है और बारिश का पानी निचले इलाकों में अब घरों में घुस रहा है। देश के उत्तर में पहाड़ों पर आफत बरस रही है, तो नदियों में बढ़े पानी से दक्षिण में भी शामत आई हुई है। शहरों में सैलाब उतर आया है।

आंध्र प्रदेश में बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़े

गुजरात में भी हाल कुछ ऐसा ही है। जूनागढ़ में भारी बारिश के बाद कई इलाकों में पानी भर गया है। आंध्र प्रदेश में बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। लगातार हो रही बारिश के बाद नदियां उफान पर हैं। गोदावरी नदी अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। नदी में पानी इतना ज्यादा भर गया है कि लो लाइंग इलाकों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। 

सड़क पर अब गाड़ियों की जगह चल रही बोट

पुदिच्चेरी में गोदावरी के पानी ने पूरे शहर को लील लिया है। सड़क पर अब गाड़ियों की जगह बोट चल रहे हैं। लोग रोजमर्रा की जरूरत का सामान लेने के लिए भी बोट से निकल रहे हैं। तेलंगाना के महबूब नगर में बारिश के आफ्टर इफेक्ट ने तीन लोगों की जान ले ली है। भारी बारिश की वजह से एक छत कमजोर पड़ के ढह गई, जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त घर में कई लोग मौजूद थे। कर्नाटक का बेलगावी शहर कई दिनों से सैलाब का सितम झेल रहा है। लगातार हो रही बारिश के बाद शहर का बुरा हाल है। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग ट्रैक्टरों पर अपना सामान भर-भर कर सुरक्षित इलाकों की तरफ पलायन करने लगे हैं। यहां रहने वाले लोगों के दिल की धड़कन बह गई है कि कहीं ये बाढ़ उनके घरों को साथ न बहा ले जाए। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि बारिश ने बड़े-बड़े शहरों की सूरत बिगड़ दी है। 

बारिश से बेहाल क्यों देश के महानगर? भारत में बाढ़ लाने वाली 10 नदियां
शहरों में ड्रेनेज सिस्टम प्रभावी नहीं  ब्रह्मपुत्र नदी 
तेजी से पानी को बाहर निकालने का इंतजाम नहीं कोसी नदी 
नालों और मेनहोल की साफ-सफाई का ना होना गंगा नदी 
खराब टाउन प्लानिंग के चलते शहरों में बाढ़ गंडक नदी 
नदियों के किनारे लोगों की बसावट बागमती नदी 
बाढ़ की संभावना वाले इलाकों में अतिक्रमण गोमती नदी
गैर-कानूनी निर्माण और ग्रीन बेल्ट में कमी नर्मदा नदी 
वॉटर लॉगिंग की समुचित व्यवस्था न होना दामोदर नदी
वर्षा जल संरक्षण को लेकर लोग नहीं है जागरुक गोदावरी नदी
जमीन में नहीं जा पाता बारिश का पानी कावेरी नदी

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बाढ़ की वजह से हर साल करीब 525 अरब रुपये से अधिक का होता है नुकसान 

नेशनल फ्लड कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल करीब 525 अरब रुपये से अधिक का नुकसान अकेले बाढ़ की वजह से होती है। इसमें लगभग 60 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान नदियों के बाढ़ से होती है, जबकि 40 प्रतिशत बर्बादी बारिश और तूफान के चलते होती है। ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि भारत की वो कौन सी नदियां हैं जो हर साल बाढ़ और बर्बादी का कारण बनती हैं। बाढ़ की वजह से अरबों रुपये की तबाही की वजह देश की 10 नदियां हैं। जो हर साल मानसून के मौसम में बाढ़ लाती हैं।

  • पहली ब्रह्मपुत्र नदी हैं जो तिब्बत के दक्षिण में मानसरोवर झील के पास चेमायुंग दुंग ग्लेशियर से निकल कर 2906 किलोमीटर का सफर तय करती हैं। चीन में 1625 किलोमीटर की दूरी तय करके नामचा बार्वा पर्वत के पास दक्षिण-पश्चिम की दिशा में मुड़कर भारत के अरूणाचल प्रदेश में घुसती है। अरुणाचल प्रदेश और असम से होते हुए भारत में 918 किलोमीटर के बाद बांग्लादेश में प्रवेश कर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इस साल भी असम में ब्रह्मपुत्र नदी का उफनता पानी बाढ़ बन कहर बरपा रहा है। 
  • बिहार में कोसी, गंडक और बागमती नदियों ने मैदानी इलाकों को दरिया में बदल दिया है, इसमें कोसी नदी का रोल सबसे ज्यादा होता है। इसीलिए कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है। कोसी नदी गंगा की सहायक नदी है, जो नेपाल के पहाड़ों से निकल कर नेपाल में बहती हुई बिहार में भीम नगर के रास्ते से दाखिल होती है। 
  • नेपाल से भारत में दाखिल होने वाली नदियों में गंडक बूढ़ी गंडक और बागमती नदी भी मानसून के दिनों में पानी के साथ साथ बर्बादी भी लाती हैं। गंडक नदी नेपाल में काली और त्रिशूली नदियों के संगम से बनी है, जो नेपाल की उच्च हिमालय पर्वतश्रेणी से निकलती है। गंडक नदी 765 किलोमीटर लम्बे घुमावदार रास्ते से गुजरकर पटना के सामने गंगा नदी में मिल जाती है। बिहार के बाहर भी ऐसी तमाम नदियां हैं जो बाढ़ की वजह बनती हैं।
  • गोमती उत्तर प्रदेश में पीलीभीत जिले के माधोटांडा इलाके से निकल कर करीब 900 किलोमीटर बहाव के बाद वाराणसी के नजदीक गंगा में मिल जाती है। गोमती के चलते लखनऊ से सटे यूपी के कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बनते हैं।
  • नर्मदा नदी जो मध्यप्रदेश के अमरकंटक से निकल कर गुजरात होते हुए 1312 किलोमीटर की दूरी चल कर अरब सागर में जा मिलती है। नर्मदा का उफनता पानी मध्य प्रदेश और गुजरात के कई इलाकों में हर साल तबाही का कारण बनता है।
  • दामोदर नदी पश्चिम बंगाल और झारखंड में बहने वाली प्रमुख नदी है। ये नदी छोटा नागपुर की पहाड़ियों से निकलती है झारखड से होते हुए पश्चिम बंगाल में पहुंच कर हुगली नदी में मिल जाती है।
  • गोदावरी नदी महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बहते हुए राजमुन्द्री शहर के करीब बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। गोदावरी नदी को दक्षिण गंगा भी कहा जाता है, लेकिन बाढ़ लाने में ये नदी भी पीछे नहीं है।
  • दक्षिणी भारत में कावेरी नदी जो कर्नाटक और उत्तरी तमिलनाडु में बहने वाली नदी है। कावेरी नदी में उफान आने पर कोडग़ू, मैसूर, मंड्या जैसे दक्षिणी भारत के जिलों में बाढ़ आती है। मानसून में ये नदियां बाढ़ के साथ साथ लोगों के लिए मुसीबत भी अपने साथ लाती हैं।
  • उत्तर भारत की जीवनरेखा कही जाने वाली गंगा नदी का पानी अभी तो स्थिर है लेकिन कई जगह बढ़ता जलस्तर चिंता बढ़ा रहा है। गंगा नदी भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती है और बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। लगातार बारिश से गंगा नदी भी विकराल बनी हुई है, इसीलिए उत्तराखंड से लेकर यूपी और बिहार में अलर्ट है।

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नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट पर काम रही मोदी सरकार

मोदी सरकार बाढ़ से बचने के लिये नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट पर काम रही है। जो देश को बाढ़ और सूखे के बचाने का स्थाई समाधान है। पांच लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की इस परियोजना के तहत भारत की बड़ी नदियों को आपस में जोड़ा जाना है। इस के लिए बड़ी तादाद में नहर, पुल और बांध बनाये जाएंगे, जिससे बाढ़ से निताज तो मिलेगी ही साथ ही सिंचाई और बिजली भी बोनस के तौर पर मिलेगी।

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