कोलकाता: केंद्रीय सिविल एविएशन मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने बुनियादी ढांचे के निर्माण को एक विशाल चुनौती करार देते हुए कहा कि भारत को अगले कुछ वर्षो में कम से कम एक हजार विमानों की जरूरत होगी, क्योंकि इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2035 तक एक व्यापक और एकीकृत योजना तैयार की जा रही है। प्रभु ने सीआईआई द्वारा आयोजित एक समारोह में कहा, "उड्डयन के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण एक बड़ी चुनौती है और इसलिए हम 2035 के लिए एक व्यापक और एकीकृत योजना तैयार कर रहे हैं। उड्डयन एक ऐसा क्षेत्र है, जो विश्व में एक नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है।" प्रभु ने एक व्याख्यान में ये बात कही, जिसका विषय था -'संरक्षणवाद के बढ़ते शोर में विश्व व्यापार का भविष्य'।
प्रभु ने कहा कि सरकार एक कार्गो नीति पर भी काम कर रही है। इस क्षेत्र में विकास की अपार संभावना है। उन्होंने कहा, "हम अलग से एक कार्गो नीति तैयार कर रहे हैं, क्योंकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर माल ढुलाई की बढ़ती जरूरत के साथ इस क्षेत्र के विकास की एक भारी संभावना है। नीति के आने से कार्गो उड़ानें रात में संचालित हो सकेंगी।" मंत्री ने जिक्र किया कि देश के उड्डयन क्षेत्र में अगले कुछ वर्षो में सबसे ज्यादा निरंतर वृद्धि दिखाई देगी। प्रौद्योगिकी और भूमि इसके मुख्य कारक होंगे। उन्होंने कहा, "हमें सफलतापूर्वक उड़ानों लिए जमीन पर आधारभूत संरचना बनाने की जरूरत है। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भूमि की खरीद भारत में एक चुनौती है और भारत में कई विकास परियोजनाओं के लिए भूमि एक मुख्य शक्ति होगी।"
प्रभु ने कहा, "प्रौद्योगिकी एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है।" उन्होंने कहा कि भारत में विमानों के विनिर्माण की भी योजना बना रहा है। उन्होंने कहा, "हमें अगले कुछ वर्षो में कम से कम एक हजार विमान बनाने की जरूरत है, ताकि हमें उनका आयात न करना पड़े। हम अलग से भारत में इन विमानों के विनिर्माण की योजना बना रहे हैं।"