नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कोरोना वैक्सीन पर तो काम हो ही रहा है साथ में आयुर्वेदिक रिसर्च पर भी अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को गुजरात और राजस्थान में आयुर्वेदिक संस्थानों के ऑनलाइन उदघाटन के मौके पर बोल रहे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “कोरोना के इस काल में हमारा फोकस सिर्फ आयुर्वेद के उपयोग तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इस मुश्किल घड़ी का इस्तेमाल आयुर्वेद से जुड़ी रिसर्च को देश और दुनिया में बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। एक तरफ भारत जहां भारत कोरोना वैक्सीन की टेस्टिंग कर रहा है वहीं दूसरी तरफ कोरोना से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक रिसर्च पर भी इंटरनेशनल सहयोग को तेजी से बढ़ा रहा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “इस समय देश में 100 से ज्यादा स्थानों पर रिसर्च चल रही है। दिल्ली में ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने दिल्ली पुलिस पर 80 हजार से ज्यादा जवानों पर इम्युनिटी से जुड़े रिसर्च किए हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी ग्रुप स्टडी हो सकती है, इसके भी उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं। आने वाले दिनों में कुछ और अंतरराष्ट्रीय परीक्षण भी शुरू किए जाने हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि देश में अब आयुर्वेदिक दवाओं, जड़ी बूटियों के साथ इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए न्यूट्रीसियस फ्रूट पर भी बल दिया जा रहा है। उन्होमंने कहा कि मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और साथ में गंगा जी के किनारे और हिमालय क्षेत्र में ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आयुर्वेद से जुड़े पेड़ पौधे लगाने पर बल दिया जा रहा है और कोशिश है कि दुनिया की वेलनेस में भारत ज्यादा से ज्यादा सहयोग करे, हमारा एक्सपोर्ट बढ़े और हमारे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि कोविड महामारी शुरू होने के बाद आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जैसे अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी आदी की कीमतें इसलिए बढ़ी क्योंकि मांग बढ़ी। उन्होंने कहा कि इस बार अश्वगंधा की कीमत पिछले साल के मुकाबले दो गुनी से ज्यादा तक पहुंची है और इसका सीधा लाभ इन पौधों और जड़ी बूटियों की खेती करने वाले हमारे किसान परिवारों तक पहुंचा है।