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चीन को पीछे छोड़ वैश्विक अर्थव्यवस्था का नया स्तंभ बनकर उभरा भारत: हार्वर्ड

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी के मुताबिक चीन को पीछे छोड़कर भारत वैश्विक आर्थिक विकास की नई धुरी के तौर पर पर उभर चुका है।

Edited by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: July 09, 2017 16:30 IST
Representational Image | PTI- India TV Hindi
Representational Image | PTI

नई दिल्ली: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी के मुताबिक चीन को पीछे छोड़कर भारत वैश्विक आर्थिक विकास की नई धुरी के तौर पर पर उभर चुका है। स्टडी में उम्मीद जताई गई है कि आने वाले दशक से ज्यादा समय तक भारत अपनी इस स्थिति को बरकरार रखेगा और चीन से बढ़त बनी रहेगी। हार्वर्ड विविद्यालय के सेंटर फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (CID) के वृद्धि अनुमानों के अनुसार कई कारणों से 7.7 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर के साथ भारत 2025 तक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में नंबर एक पर बना रहेगा। (पढ़ें: चीन की धमकी को ठेंगा, डोकलाम से नहीं हटेगी भारतीय सेना, गाड़े तंबू)

CID के इस रिसर्च में कहा गया है कि वैश्विक वृद्धि का केंद्र पिछले कुछ साल में चीन से पड़ोसी देश भारत की ओर शिफ्ट हो गया है। रिसर्च में कहा गया है कि आने वाले दशक में भी यह बढ़त कायम रहेगी। इस स्टडी में कहा गया है कि आज की तारीख तक भारत ने जो क्षमताएं हासिल की है, उनके मद्देनजर वह विविध क्षेत्रों में उतरने को लेकर बेहतर स्थिति में है, जिसकी वजह से उसकी तेज वृद्धि की संभावनाएं कायम रहेंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अपने निर्यात आधार का विविधीकरण किया है और इसमें रसायन, वाहन और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स सहित अधिक जटिल क्षेत्रों को शामिल किया है।

रिपोर्ट कहती है कि प्रमुख पेट्रोलियम अर्थव्यवस्थाएं एक संसाधन पर निर्भर रहने का प्रभाव झेल रही हैं। वहीं भारत, इंडोनेशिया और वियतनाम ने नई क्षमताएं हासिल की हैं। विविध तरह के उत्पादन की वजह से आने वाले सालों में इन देशों का विकास तेजी से होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, तुर्की, इंडोनेशिया, यूगांडा और बुल्गारिया जैसे देशों के तेज वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है और ये सभी देश राजनीतिक, संस्थागत, भौगोलिक और जनसांख्यिकीय रूप में विविधता रखते हैं। CID एक ऐसी संस्था है जो रिसर्च के जरिए विकास से जुड़ी चुनौतियों को समझता है और वैश्विक गरीबी की समस्या का हल सुझाता है।

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