नई दिल्ली: भारत को अगले एक दशक में जनसंख्या में युवा आबादी की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए रोजगार के 10 करोड़ अवसर पैदा करने की जरूरत होगी। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार में वृद्धि होने से देश में आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं में तेजी लाई जा सकती है और इसे अधिक समावेशी बनाया जा सकता है।
पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट, ‘नागरिक: बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के जरिए समावेशी वृद्धि’ में अगले दशक में देश मे रोजगार बढ़ाने के व्यावहारिक तरीके का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि किस तरीके से छोटे जिलों में देश के स्थानीय संसाधनों को बाजार से जोड़ने से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अगले दशक में हमें ऑस्ट्रेलिया की आबादी जितने पांच गुणा रोजगार के अवसरों का सृजन करना होगा। यह देश के सामने सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा है। यदि इससे सोच विचार तथा ऊर्जावान तरीके से निपटा जाता है, तो हमारी वृद्धि बढ़ेगी जिससे इसे अधिक समावेशी बनाया जा सकेगा।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपनी श्रमबल भागीदारी दर (एलएफपीआर) को बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए कार्यशील आबादी विशेष रूप से महिलाओं को अधिक अवसर उपलब्ध कराने पड़ेंगे।