नई दिल्ली। लोकसभा में अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है। अमित शाह ने कहा है कि कश्मीर पर जवाहर लाल नेहरू की गलती देश भुगत रहा है। अमित शाह ने कहा कि देश के विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है और बंटवारे की गलती सागर से भी गहरी है।
अमित शाह ने कहा कि उस समय युद्धविराम का आह्वान किसने किया? यह जवाहरलाल नेहरू थे जिन्होंने इसे किया और उस हिस्से (पीओके) को पाकिस्तान को दे दिया। आप कहते हैं कि हम लोगों को विश्वास में नहीं लेते, लेकिन नेहरू जी ने तत्कालीन गृहमंत्री को विश्वास में लिए बिना ऐसा किया। इसलिए मनीष (तिवारी) जी हमें इतिहास न सिखाएं।
गृहमंत्री ने आगे कहा कि जम्मू कश्मीर की आवाम और भारत की आवाम के बीच एक खाई पैदा की गई। क्योंकि पहले से ही भरोसा बनाने की कोशिश ही नहीं की गई। जो देश को तोड़ना चाहते हैं उनके मन में डर होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर की आवाम के मन डर नहीं होना चाहिए।
इतिहास पर प्रकाश डालते हुए अमित शाह ने कहा कि 23 जून 1953 को जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर के संविधान का, परमिट प्रथा का और देश में दो प्रधानमंत्री का विरोध करते हुए जम्मू कश्मीर गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वहां उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई। इसकी जांच होनी चाहिए या नहीं, क्योंकि मुखर्जी जी विपक्ष के नेता थे, देश के और बंगाल के नेता थे। आज बंगाल अगर देश का हिस्सा है तो इसमें मुखर्जी जी का बहुत बड़ा योगदान है।
‘जम्मू-कश्मीर को अपना मानते हैं’
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की आवाम को हम अपना मानते हैं, उन्हें अपने गले लगाना चाहते हैं। लेकिन उसमें पहले से ही जो शंका का पर्दा डाला गया है, वो इसमें समस्या पैदा कर रहा है। हम कश्मीर की आवाम की चिंता करने वाली सरकार हैं। आज तक पंचायतों को पंच और सरपंच चुनने का अधिकार ही नहीं दिया गया था। सिर्फ तीन ही परिवार इतने साल तक कश्मीर में शासन करते रहे। ग्राम पंचायत, नगर पंचायत सब का शासन वही करें और सरकार भी वही चलाएं। ऐसा क्यों होना चाहिए?
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता का कल्याण हमारी प्रथामिकता है। उन्हें ज्यादा भी देना पड़ा तो दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने बहुत दुख सहा है। कश्मीर की आवाम को विकास और खुशी देने के लिए हमारी सरकार ने ढेर सारे कदम उठाए हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि जिनके मन में जम्मू कश्मीर में आग लगाने की मंशा है, कश्मीर को भारत से अलग करने की करने की मंशा है, अलगाववाद खड़ा करने की मंशा है उनके लिए मैं कहना चाहता हूं कि हां उनके मन में अब भय है, रहेगा और आगे ज्यादा बढ़ेगा।