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भारत ने गलवान घाटी पर चीन का दावा पुन: किया खारिज, शुक्रवार को हो सकती है वार्ता

उल्लेखनीय है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय सेना के साथ बनी आपसी सहमति के अनुसार, पूर्वी लद्दाख के गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स में टकराव स्थलों से अपने बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को पूरी कर दी।

Written by: Bhasha
Published on: July 09, 2020 22:37 IST
India China Border- India TV Hindi
Image Source : AP भारत ने गलवान घाटी पर चीन का दावा पुन: किया खारिज, शुक्रवार को हो सकती है वार्ता

नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के उद्देश्य से तौर-तरीके तैयार करने के लिए शुक्रवार को एक और दौर की राजनयिक वार्ता होने की संभावना के बीच, भारत ने पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर चीन के दावे को एक बार फिर खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत वार्ता के जरिए मतभेदों के समाधान को लेकर आश्वस्त है और सीमा क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने की आवश्यकता को समझता है। इसके साथ ही भारत अपनी सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

श्रीवास्तव ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एलएसी का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में यही शांति और स्थिरता का आधार है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ पिछले रविवार को बातचीत में गलवान घाटी सहित एलएसी पर हुए हालिया घटनाक्रमों को लेकर भारत के रुख से उन्हें स्पष्ट रूप से अवगत कराया था। सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि डोभाल और वांग ने फोन पर बातचीत की थी, जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में टकराव बिंदुओं से बलों को पीछे हटाना शुरू कर दिया था।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘एनएसए ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय बलों ने सीमा प्रबंधन के मामले में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना दृष्टिकोण अपनाया है और साथ ही, हमारे बल देश की सम्प्रभुता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद प्रतिबद्ध हैं।’’

इस बीच, इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि दोनों पक्ष भारत-चीन सीमा मामलों पर विचार-विमर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र की रूपरेखा के तहत सीमा विवाद पर शुक्रवार को एक और ऑनलाइन बैठक करेंगे। श्रीवास्तव ने दोहराया कि गलवान घाटी पर चीन के हालिया दावे ‘‘बढ़ा-चढ़ा कर किए गए और निराधार हैं’’ और एलएसी का कड़ाई से पालन एवं सम्मान किया जाना चाहिए, क्योंकि सीमावर्ती क्षेत्रों में यही शांति और स्थिरता का आधार है।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हम वार्ता के जरिए मतभेदों के समाधान को लेकर आश्वस्त हैं और सीमा क्षेत्रों में अमन-चैन बनाए रखने की आवश्यकता को समझते हैं। इसके साथ ही हम अपनी सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।’’

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर पिछले करीब आठ सप्ताह से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। स्थिति तब और बिगड़ गई थी, जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्षों के सैन्य और राजनयिक अधिकारी विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुसार सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये और तनाव कम करने के लिए बैठकें जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत-चीन सीमा मामलों पर विचार-विमर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की अगली बैठक जल्द ही होने की संभावना है।’’

उल्लेखनीय है कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय सेना के साथ बनी आपसी सहमति के अनुसार, पूर्वी लद्दाख के गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स में टकराव स्थलों से अपने बलों को पीछे हटाने की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को पूरी कर दी। उसने गलवान घाटी में टकराव बिंदुओं से पहले ही बलों को पीछे हटा लिया है। श्रीवास्तव ने डोभाल और वांग के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इस बात सहमति जताई कि द्विपक्षीय संबंधों को समग्र रूप से आगे बढ़ाने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि दोनों विशेष प्रतिनिधियों ने इस बात भी सहमति जताई कि दोनों पक्षों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि सीमा क्षेत्रों में शांति बाधित कर सकने वाली इस प्रकार की घटनाओं को भविष्य में भी रोका जा सके। श्रीवास्तव ने बताया कि दोनों ने कहा कि पूर्ण रूप से शांति बहाली के लिए भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में तनाव कम करने और एलएसी से बलों को हटाने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरा किए जाने की आवश्यकता है। 

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