नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच भारत ने साबित किया कि वह आपदा को अवसर बनाने की क्षमता रखता है। भारत इसी ओर आगे भी बढ़ रहा है। कोरोना को दुनियाभर में सदी की सबसे बड़ी महामारी बताया गया है। लेकिन, भारत ने न सिर्फ इसे बेहतर तरीके से कंट्रोल किया बल्कि कोरोना की वैक्सीन बनाकर दुनिया के कई देशों में भेज भी रहा है।
अकेला देश, जहां दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं
भारत दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जहां सभी मापदंडों को पूरा कर दो कोरोना वैक्सीन काम में लाई जा रही है। भारत ने खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि वह दूसरे देशों को भी वैक्सीन भेज रहा है। लेकिन, अगर इतिहास पर नजर डालें तो एक वक्त ऐसा भी था जब पेनिसिलिन दवा के लिए भारत को कनाडा से मदद मांगनी पड़ी थी। लेकिन, अब वक्त बदलता दिख रहा है।
पेनिसिलिन के लिए कनाडा से मांगी थी मदद
दरअसल, आजादी के वक्त भारत का फार्मा सेक्टर कोई खासी अच्छी स्थिति में नहीं था। दवाइयां तो तब भी बनती थीं, लेकिन गंभीर बीमारी की दवा या इलाज के लिए दूसरे विकसित देशों की मदद की तलाशनी पड़ती थी। ऐसा ही, साल 1955 में हुआ था। देश की स्वास्थ्य मंत्री राजकुमार अमृत कौर ने मलेरिया के खिलाफ अभियान चलाया था, जिसके मद्देनजर उन्होंने कनाडा से पेनिसिलीन दवा के तौर पर मदद मांगी।
बदल गया भारत, मदद के लिए तैयार
तब भारत ने जिस कनाडा से पेनिसिलीन दवा के रूप में मदद मांगी वही कनेडा आज कोरोना वैक्सीन के लिए भारत से मदद मांग रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री (कनेडा के) जस्टिन ट्रूडो हमें कनाडा में रेगुलेटरी अप्रूवल का इंतजार है। मैं आश्वासन देता हूं कि सीरम इंस्टीट्यूट एक महीने से भी कम समय में कनाडा के लिए COVISHIELD भेज देगा। मैं काम कर रहा हूं।"
कई देशों को वैक्सीन भेजी गई
कोरोना संकट में भारत ने दुनिया के विभिन्न देशों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया। भारत ने वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के जरिए बीते कुछ दिन में स्वदेशी कोविड-19 टीकों की खेप नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यामांर, मॉरीशस और सेशेल्स को मदद के रूप में भेज चुका है। इनके अलावा दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, मोरक्को और ब्राजील को टीके व्यावसायिक आपूर्ति के रूप में भेजे जा रहे हैं।