जम्मू: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (पीओजेके) को वापस पाने के लिए भारत प्रतिबद्ध है और दोनों पड़ोसी देशों के बीच यही एकमात्र लंबित मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर मुद्दा जैसा कोई मुद्दा नहीं है और जम्मू कश्मीर किसी अन्य राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के समान ही भारत का हिस्सा है।’’
भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर के इलाकों को पाकिस्तान द्वारा खाली किए जाने के लिए सभी पार्टियों द्वारा आम सहमति से स्वीकार किए गए और 1994 में संसद में पारित किए गए एक प्रस्ताव का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि इतने साल बाद भी ये इलाके पड़ोसी देश के अवैध कब्जे में हैं।
उन्होंने कहा कि पीओजेके के लोग लंबे समय से लोकतंत्र से वंचित रहे हैं और उनसे सरकार का यह वादा है कि वह उन्हें जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण के साथ भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली का लाभार्थी बनाएगी। सिंह ने यह भी दावा किया कि सीमावर्ती इलाकों में पिछले सात दशकों से लंबित पड़े बंकरों और पुलों का निर्माण कार्य सिर्फ पिछले पांच-छह वर्षों में किया गया है।
पाकिस्तान जाधव मामले को एक अन्य भारतीय के मामले से जोड़ने का प्रयास कर रहा है: विदेश मंत्रालय
भारत ने कुलभूषण जाधव मामले को, सजा काटने के बावजूद जेल में बंद एक अन्य भारतीय के मामले से जोड़ने का प्रयास करने को लेकर बृहस्पतिवार को पाकिस्तान की निंदा की। पाकिस्तानी मीडिया की खबरों में दावा किया गया कि भारतीय उच्चायोग के वकील शाहनवाज नून ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय को बताया है कि भारतीय उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया मृत्यु दंड का सामना कर रहे जाधव के लिए वकील की नियुक्ति को लेकर भारत के रूख को स्पष्ट करना चाहते हैं।हालांकि, भारत ने कहा कि नून इस बारे में बोलने के लिए अधिकृत नहीं है और ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान के दबाव के तहत यह कदम उठाया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘पाकिस्तान कुलभूषण जाधव के मामले को एक अन्य कैदी के मामले से जोड़ने का प्रयास कर रहा है।’’
श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय उच्चायोग ने नून को भारतीय कैदी मोहम्मद इस्माइल की रिहाई और वापसी से जुड़े मामले में अदालत में पेश होने के लिए चुना था। इस्माइल अपनी सजा पूरी कर चुके हैं लेकिन उन्हें पाकिस्तान में जेल में रखा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि इस्माइल के मामले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल ने जाधव से जुड़ा मामला उठाया जबकि दोनों मामलों में कोई जुड़ाव नहीं है।’’ श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘खबरों के मुताबिक नून ने जो बयान दिए वह सही नहीं हैं और यह मामले में हमारे रूख के विपरीत हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने पाकिस्तानी प्रतिष्ठानों के दबाव में इस तरह के बयान दिए जबकि वह इसके लिए अधिकृत नहीं है।’’ श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय उच्चायोग ने नून से साफ तौर पर कहा था कि वह भारत सरकार या जाधव की ओर से पेश होने के लिए अधिकृत नहीं है। भारत ने जाधव तक राजनयिक पहुंच प्रदान नहीं किए जाने पर 2017 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रूख किया था और सैन्य अदालत द्वारा जाधव को सुनाये गए मृत्युदंड को चुनौती दी थी।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की दोषिसिद्धि, सजा की समीक्षा, उस पर पुनर्विचार करने तथा बिना किसी देरी के उन तक राजनयिक पहुंच देने को कहा था। भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों पर अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुनायी थी।