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चीन के साथ सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने को भारत प्रतिबद्ध: विदेश मंत्रालय

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर तनातनी की घटनाओं के कुछ ही दिन बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह चीन के साथ लगने वाली सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने को प्रतिबद्ध है तथा सीमा को लेकर साझा समझ होने पर ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 15, 2020 0:03 IST
India committed to peace and tranquillity along border with China: MEA- India TV Hindi
Image Source : GOOGLE India committed to peace and tranquillity along border with China: MEA

नयी दिल्ली: भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर तनातनी की घटनाओं के कुछ ही दिन बाद भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह चीन के साथ लगने वाली सीमा पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने को प्रतिबद्ध है तथा सीमा को लेकर साझा समझ होने पर ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता था। पांच मई को भारत और चीन के करीब 250 सैनिकों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई थी जब पूर्वी लद्दाख के पागोंग तासो झील के पास दोनों पक्षों के बीच लोहे की छड़, डंडों के साथ संघर्ष तथा पथराव हुआ। इसके चार दिन बाद उत्तरी सिक्किम के नाकुला दर्रे के पास ऐसी ही घटना देखने को मिली थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और चीन दोनों देशों की सीमा से लगे क्षेत्रों में शांति बनाए रखने को अत्यधिक महत्व देते हैं और इसकी पुष्टि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच दो अनौपचारिक शिखर बैठकों में भी हुई है। 

उन्होंने कहा ‘‘इसके परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा पर शांति रही है, हालांकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर अलग अलग समझ के कारण कभी-कभी संघर्ष के हालात पैदा हो जाते हैं। इनसे बचा जा सकता था, अगर दोनों पक्षों के बीच सीमा को लेकर समान समझ होती।’’ श्रीवास्तव ने कहा कि अगर कुछ स्थितियां पैदा हो जाती हैं तो उनसे निपटने के लिए तंत्र विकसित किया गया हैं।

प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय पक्ष भारत-चीन सीमा पर शांति और स्थिरता बनाये रखने के लिये प्रतिबद्ध है। वहीं, ताजा घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना चीन से लगी सीमा पर अपने रूख पर कायम है और इस क्षेत्र में आधारभूत ढांचा के विकास का कार्य भी सही दिशा में चल रहा है । उन्होंने कहा ‘‘पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम की दो घटनाएं दोनों पक्षों के आक्रामक व्यवहार का परिणाम हैं जिसके कारण चौकी पर तैनात सैनिकों को मामूली चोटें भी लगी । दोनों पक्षों ने स्थानीय स्तर पर बातचीत के जरिये इससे सुलझा लिया। ’’ 

भारत-चीन के सैनिकों के बीच तनातनी के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा कि इन दोनों घटनाओं का किसी वैश्विक या स्थानीय गतिविधियों से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी सभी घटनाओं को स्थापित प्रोटोकाल और उन रणनीतिक दिशा निर्देशों के आधार पर आपस में दोनों पक्ष सुलझाते हैं जो वुहान और मामल्लापुरम शिखर सम्मेलन के आधार पर तैयार किए गए थे। सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सीमा सैनिक हमेशा सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता बनाये रखते हैं । 

भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर है। यह दोनों देशों के बीच अघोषित सीमा है। चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है जबकि भारत इसका खंडन करता आया है। दोनों पक्षों का कहना है कि सीमा मुद्दे का हल होने तक सीमा क्षेत्रों में शांति बनाये रखना जरूरी है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने डोकलाम गतिरोध के कुछ महीनों बाद अप्रैल 2018 में चीनी शहर वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता की थी। वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने निर्णय किया था कि वे अपनी सेनाओं को संवाद मजबूत करने के लिए ‘‘रणनीतिक मार्गदर्शन’’ जारी करेंगे जिससे उनमें विश्वास और समझ का निर्माण हो सके। मोदी और शी के बीच दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई के पास मामल्लापुरम में हुआ था जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक व्यापक बनाने पर जोर दिया गया था।

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