नई दिल्ली: डीआरडीओ के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने शनिवार को कहा कि उपग्रह रोधी मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ भारत अंतरिक्ष में 1000 किलोमीटर की दूरी तक किसी लक्ष्य को भेदने में समर्थ हो गया है और मिशन में निचली कक्षा को इसलिए चुना गया ताकि अंतरिक्ष में वैश्विक परिसंपत्तियों को मलबे के खतरे से बचाया जा सके।
यहां डीआरडीओ भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में रेड्डी ने कहा कि मिसाइल में 1,000 किलोमीटर के दायरे वाली कक्षा में उपग्रहों को रोकने की क्षमता है। रेड्डी ने कहा, “क्षमता प्रदर्शन के लिए परीक्षण हेतु करीब 300 किलोमीटर की कक्षा चुनी और इसका मकसद अंतरिक्ष में वैश्विक संपत्तियों को मलबे से खतरा पहुंचाने से रोकना है।” उन्होंने कहा, “परीक्षण के बाद पैदा हुआ मलबा कुछ हफ्तों में नष्ट हो जाएगा।”
उनकी इस टिप्पणी से कुछ दिन पहले नासा ने उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण (ए-सैट) से मलबा फैलने के खतरे पर चिंता जाहिर की थी। भारत ने 27 मार्च को यह परीक्षण किया था।
मंगलवार को नासा ने उसके एक उपग्रह को भारत की तरफ से मार गिराए जाने को “भयावह” बताया और कहा कि इस मिशन के चलते अंतरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े बिखर गए। रेड्डी ने कहा, ‘‘हम बहुत स्पष्ट कह सकते हैं कि मलबे से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) को नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है।’’