Tuesday, November 05, 2024
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India China News: भारत और चीन ने अगले दौर की सैन्य स्तर की वार्ता जल्द आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, सीमा मामलों पर विचार विमर्श एवं समन्वय संबंधी कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की डिजिटल माध्यम से आयोजित बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति के संबंध में ‘स्पष्ट एवं गहराई’ के साथ चर्चा की और 10 अक्टूबर को हुए पिछले सैन्य स्तर की वार्ता के बाद के घटनाक्रम की समीक्षा की।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 18, 2021 23:39 IST
भारत-चीन के बीच हुई बैठक - India TV Hindi
Image Source : AP/REPRESENTATIONAL PHOTO भारत-चीन के बीच हुई बैठक 

Highlights

  • भारत चीन के बीच वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला (14वां) दौर जल्द से जल्द आयोजित होगा- विदेश मंत्रालय
  • 'भारत-चीन के बीच इस पर भी सहमति बनी है कि दोनों पक्ष स्थिर जमीनी हालात बनाए रखेंगे और किसी भी अप्रिय घटना से बचेंगे'
  • दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर लंबित मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत पर सहमति जताई

नयी दिल्ली: भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के अन्य क्षेत्रों से सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए जल्द ही किसी तारीख पर 14वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता आयोजित करने पर गुरुवार को सहमति व्यक्त की। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, सीमा मामलों पर विचार विमर्श एवं समन्वय संबंधी कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की डिजिटल माध्यम से आयोजित बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति के संबंध में ‘स्पष्ट एवं गहराई’ के साथ चर्चा की और 10 अक्टूबर को हुए पिछले सैन्य स्तर की वार्ता के बाद के घटनाक्रम की समीक्षा की। अगले दौर के सैन्य स्तर की वार्ता आयोजित करने पर सहमति बनने के अलावा डब्ल्यूएमसीसी की बैठक से कोई महत्वपूर्ण परिणाम निकलने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।

मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘ इस बात पर सहमति बनी कि वर्तमान द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉल के अनुरूप पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर संघर्ष के सभी क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए जल्द ही किसी तारीख पर वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की अगले दौर (14वें) की बैठक आयोजित की जायेगी । ’’ गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र को आधिकारिक रूप से पश्चिमी सेक्टर के रूप में संबोधित किया जाता है । बयान के अनुसार, इस बात पर भी सहमति बनी कि तब तक दोनों पक्ष अंतरिम रूप से जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाये रखेंगे और किसी अप्रिय घटना से बचेंगे । इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों पक्षों ने विदेश मंत्री जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच सितंबर में दुशांबे में हुई बैठक के दौरान बनी इस सहमति को भी याद किया कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर शेष मुद्दों के समाधान के लिए बातचीत करना जारी रखेंगे।’’ उल्लेखनीय है कि 13वें दौर के वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की बैठक के बाद सख्त लहजे वाले बयान में भारतीय सेना ने कहा था कि वार्ता के दौरान उसकी ओर से दिये गए ‘रचनात्मक सुझाव’ पर चीन सहमत नहीं था और न ही उसने (चीन) आगे की ओर बढ़ने वाला कोई प्रस्ताव ही पेश किया। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष सीमा पर स्थिति को सामान्य बनाने के लिये आगे काम करेंगे और जल्द से जल्द आपातकालीन प्रतिक्रिया से सामान्य नियंत्रण की स्थिति की ओर लौटेंगे।

चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बैठक में चीन भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों में हालिया स्थिति को लेकर स्पष्ट एवं गहराई से विचारों का आदान प्रदान किया । उसने कहा कि दोनों पक्षों ने पीछे हटने के संबंध में वर्तमान उपलब्धियों को और मजबूत बनाने तथा दोनों पक्षों के बीच हुए समझौतों तथा जमीन पर उस स्थिति को दोहराने से बचने के बारे में बनी सहमति का सख्ती से पालन करने पर सहमति व्यक्त की।

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने राजनयिक एवं सैन्य चैनलों के माध्यम से वार्ता एवं संवाद करने पर सहमति व्यक्त की तथा 14वें दौर के सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता की सक्रिय तैयारी करने तथा भारत चीन सीमा पर शेष मुद्दों का समाधान निकालने के लिये प्रयास जारी रखने पर सहमति जतायी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष पांच मई को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प के बाद सीमा गतिरोध शुरू हो गया था। इसके बाद दोनों ओर से सीमा पर सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की गई थी । गतिरोध को दूर करने को लेकर दोनों देशों के बीच राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर कई वार्ताएं भी हो चुकी हैं। दोनों पक्षों ने पिछले महीने गोगरा क्षेत्र से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया लेकिन कुछ स्थानों पर अभी गतिरोध बरकरार है। दोनों पक्षों की ओर से अभी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। 

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