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एक और डोकलाम का तनाव नहीं झेल सकते हैं भारत-चीन के संबंध: चीनी राजदूत

भारत में नियुक्त चीनी राजदूत लुओ झाओहुई ने सोमवार को कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध एक और डोकलाम का तनाव नहीं झेल सकते हैं...

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 18, 2018 16:20 IST
India, China ties cannot take strain of another Doklam, says Chinese envoy Luo Zhaohui | PTI- India TV Hindi
India, China ties cannot take strain of another Doklam, says Chinese envoy Luo Zhaohui | PTI

नई दिल्ली: भारत में नियुक्त चीनी राजदूत लुओ झाओहुई ने सोमवार को कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध एक और डोकलाम का तनाव नहीं झेल सकते हैं। लुओ का बयान सामान्य होते भारत-चीन रिश्ते की एक झलक है। उन्होंने विशेष प्रतिनिधियों की एक बैठक के जरिए सीमा विवाद का एक परस्पर स्वीकार्य समाधान तलाशने की जरूरत पर भी जोर दिया। चीनी राजदूत ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ भारतीय मित्रों ने भारत, चीन और पाकिस्तान की भागीदारी वाली एक त्रिपक्षीय बैठक का सुझाव दिया है जो एक बहुत ही रचनात्मक विचार है। चीन-भारत संबंध के बारे में उन्होंने कहा कि मतभेद होना स्वाभाविक है लेकिन उन्हें सहयोग के जरिए दूर करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘हमें सहयोग बढ़ा कर मतभेदों को दूर करने की जरूरत है। सीमा विवाद अतीत की देन है। हमें विश्वास बहाली के उपाय स्वीकार करते हुए विशेष प्रतिनिधियों की बैठक के जरिए एक परस्पर स्वीकार्य हल तलाशने की जरूरत है। हम एक और डोकलाम का तनाव नहीं ले सकते।’ उन्होंने नई दिल्ली में चीनी दूतावास में एक कार्यक्रम में ‘वुहान से आगे: चीन -भारत संबंध कितना आगे और तेजी से जा सकता है’ विषय पर मुख्य भाषण देते हुए यह कहा। गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त में भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकलाम में 73 दिनों तक गतिरोध चला था।

डोकलाम गतिरोध का एक तात्कालिक परिणाम यह हुआ था कि नाथू ला से होकर कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सालाना सैन्य अभ्यास स्थगित कर दिया गया था। चीन ने तिब्बत से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के जल के बारे में आंकड़े भी नहीं दिए थे। राजदूत ने सोमवार को कहा कि चीन धार्मिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर जाने के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए इंतजाम करना जारी रखेगा। 

डोकलाम प्रकरण के बाद दोनों देशों के नेताओं के बीच कई उच्च स्तरीय वार्ताएं हुई हैं जिनमें इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का पिछले दो महीनों में वुहान और चिंगदाओ में 2 बार मिलना शामिल है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 3 मुख्य उद्देश्यों में सुरक्षा सहयोग भी शामिल है। यह 8 देशों का एक संगठन है जिसमें भारत और पाकिस्तान भी शामिल हैं। राजदूत ने कहा कि भारत, चीन और पाकिस्तान का एक त्रिपक्षीय बैठक करने का प्रस्ताव बहुत ही रचनात्मक है। चीन, रूस और मंगोलिया के नेता भी इस तरह की बैठक करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘कुछ भारतीय दोस्तों ने यह सुझाव दिया है और यह एक बहुत अच्छा और रचनात्मक विचार है। हमें एससीओ, ब्रिक्स में सहयोग बढ़ाने और सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए हाथ मिलाने की जरूरत है।’ अफगानिस्तान में भारत-चीन सहयोग के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने कहा कि दोनों देशों ने अफगान अधिकारियों और राजनयिकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम की पहचान की है। उन्होंने कहा, ‘यह पहला कदम है और भविष्य में और भी कदम उठाए जाएंगे।’

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