नयी दिल्ली। चीन पर नजर रखने के लिए नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और तैनाती दोनों ही बढ़ा दी है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तल्ख सीमा गतिरोध की पृष्ठभूमि में भारतीय नौसेना ने अपने निगरानी अभियानों में वृद्धि करते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में परिचालन तैनाती को बढ़ा दिया है। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना तेजी से बदल रहे क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर मित्र अमेरिकी नौसेना और जापान समुद्री आत्मरक्षा बल (जेएमएसडीएफ) के साथ अपने परिचालन सहयोग को भी बढ़ा रही है।
उन्होंने बताया कि शनिवार को भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में जेएमएसडीएफ के साथ एक महत्वपूर्ण अभ्यास किया। उस क्षेत्र में चीनी नौसेना के पोतों के साथ ही उसकी पनडुब्बियां अक्सर आती रहती हैं। भारतीय नौसेना के पोत आईएनएस राणा और आईएनएस कुलिश अभ्यास में शामिल हुए। ‘जापान मेरिटाइम डिफेंस फार्सेस’ ने अभ्यास के लिए अपने दो जहाजों जेएस काशिमा और जेएस शिमायुकी को तैनात किया था। इस अभ्यास का इसलिए भी विषेष महत्व है क्योंकि यह पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत के गतिरोध और दक्षिण चीन सागर तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी नौसेना की आक्रामक मुद्रा के बीच हुआ है।
एक सूत्र ने कहा कि इस अभ्यास का मकसद दोनों नौसेनाओं के बीच तालमेल और सामंजस्य बढ़ाना था। संसाधनों से भरपूर इस क्षेत्र में सैन्य प्रभाव का विस्तार करने के चीन के प्रयासों के मद्देनजर अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और फ्रांस की नौसेनाएं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ा रही हैं। पूर्वी लद्दाख में 15 जून को 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत और चीन के बीच तनाव में वृद्धि के बाद, सरकार ने सभी तीनों बलों को अलर्ट पर रखा है।
नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी स्तर बढ़ाने के लिए कहा गया था जहां चीनी नौसेना अक्सर आ जाती हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने अपने निगरानी अभियानों में वृद्धि की है और पिछले कुछ हफ्तों में हिंद महासागर क्षेत्र में परिचालन तैनाती को बढ़ाया है। एक सैन्य विशेषज्ञ ने कहा कि हम हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए निगरानी बढ़ा रहे हैं। 15 जून को गलवान घाटी की घटना दोनों सेनाओं के बीच नाथू ला में 1967 के संघर्ष के बाद सबसे बड़ा संघर्ष थी। 1967 के संघर्ष में भारत के तकरीबन 80 सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे। भारत और जापान प्रभावशाली "क्वाड" या चतुष्कोणीय गठबंधन का हिस्सा हैं जिसमें अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं।