Tuesday, November 05, 2024
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India China Standoff: बढ़ेगी चीन की टेंशन, LAC पर विवाद के बीच सुरक्षाबल कर रहे हैं ये काम

सूत्रों ने बताया कि पहले अचानक युद्ध की हालातों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को 10 दिन का गोला-बारुद और हथियार स्टॉक करने की इजाजत थी, जो अब दोनों मोर्चों चीन और पाकिस्तान को देखते हुए 15 दिन कर दी गई है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 13, 2020 23:14 IST
India china ladakh LAC 15 days intense war stock weapons, ammunition । India China Standoff: बढ़ेगी - India TV Hindi
Image Source : AP (FILE) India China Standoff: बढ़ेगी चीन की टेंशन, सरकार ने सुरक्षा बलों को दी इस बात की मंजूरी

नई दिल्ली. लद्दाख में LAC पर लंबे समय से भारत औऱ चीन के बीच विवाद जारी है। यहां दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने खड़ी हैं। ऐसे हालातों के बीच भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने सुरक्षा बलों को 15 दिनों के गहन युद्ध के लिए हथियारों और गोला-बारूद का स्टॉक करने की मंजूरी दे दी है। LAC पर तनावपूर्ण हालातों के मद्देनजर सुरक्षा बल बढ़ी हुई स्टॉकिंग आवश्यकताओं और आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकेंगे, जिसके तहत सुरक्षा बल स्थानीय और विदेशी स्रोतों से उपकरण और गोला-बारूद खरीदने के लिए 50,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर सकते हैं।

सूत्रों ने बताया कि पहले अचानक युद्ध की हालातों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को 10 दिन का गोला-बारुद और हथियार स्टॉक करने की इजाजत थी, जो अब दोनों मोर्चों चीन और पाकिस्तान को देखते हुए 15 दिन कर दी गई है। सूत्रों ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि दुश्मनों के साथ 15-दिन के गहन युद्ध (intense war) लड़ने के लिए भंडार रखने के लिए मंजूरी मिलने के बाद अब कई हथियार प्रणाली (weapon systems) और गोला-बारूद (ammunition) का अधिग्रहण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले ही सुरक्षा बलों को स्टॉक बढ़ाने के लिए मंजूरी दी गई है।

बहुत साल पहले तक सुरक्षा बलों को 40 दिन के गहन युद्ध के हिसाब से स्टॉक रखने की परमिशन थी लेकिन बाद में ये 10 दिन तक घटाई गई। सूत्रों ने बताया कि इसकी वजह हथियारों और गोला बारूद के भंडारण से जुड़ी समस्याएं और लगातार बदल रहा युद्ध का तरीका भी है।

उड़ी हमले के बाद, यह महसूस किया गया कि  war wastage reserves stocks कम था और तत्कालीन मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाले रक्षा मंत्रालय ने सेना, नौसेना और वायु सेना के उपाध्यक्षों की वित्तीय शक्तियों को बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये कर दिया। तब तीनों सेनाओं को किसी भी उपकरण या हथियार को खरीदने के लिए 300 करोड़ रुपये की वस्तुओं की खरीद के लिए आपातकालीन वित्तीय अधिकार भी दिए गए थे, जिनका युद्ध लड़ने उपयोग किया जा सकता है। डिफेंस फोर्स पूर्जों के अलावा हथियारों, मिसाइलों और प्रणालियों की खरीद कर रहे हैं ताकि दोनों विपरीत परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से कार्रवाई की जा सके। सूत्रों का कहना है कि टैंक और तोपखाने के लिए बड़ी संख्या में मिसाइलों और गोला-बारूद को संतोषजनक मात्रा में खरीद लिया गया है। (ANI)

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