नई दिल्ली. लद्दाख में LAC पर चल रहे विवाद का समाधान खोजने के लिए भारत और चीन लगातार बातचीत कर रहे हैं। इस बातचीत के बीच भारत ने चीन पूर्वी लद्दाख के फिंगर एरिया से बराबर रूप से पीछे हटने के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया है। कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद, दोनों पक्ष पिछले तीन महीने से भी ज्यादा समय से सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए सैन्य स्तर की वार्ता आयोजित करने पर भी काम कर रहे हैं।
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इस बीच, शीर्ष सैन्य कमांडरों ने भी अपने फिल्ड कमांडरों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी घटना या कार्रवाई के लिए पूरी तरह से तैयार होने के लिए कहा है। पूर्वी लद्दाख में तैनात सेना के जवानों को लंबे समय तक इस तनातनी के तैयार रहने के लिए कहा गया है। सूत्रों ने ANI को बताया, "चीनी पक्ष ने एक सुझाव दिया था कि भारत और चीन दोनों को फिंगर -4 क्षेत्र से समान रूप से वापस जाना चाहिए। यह सुझाव भारतीय पक्ष को स्वीकार्य नहीं है।"
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फिलहाल, चीनी पांगोंग त्सो झील पर पास फिंगर 5 के आसपास हैं और फिंगर 5 से फिंगर 8 तक पांच किलोमीटर से अधिक के इलाकों में ड्रैगन ने बड़ी संख्या में सैनिकों और उपकरणों को तैनात किया है। भारतीय पक्ष चीनी सेना को यह सपष्ट कर चुका है कि चीनियों को फिंगर क्षेत्र से पूरी तरह से वापस जाना चाहिए और अपने सही स्थान पर वापस जाना चाहिए।
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सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष के सुझाव को स्वीकार करने का कोई मतलब ही नहीं था। भारत 1993-1996 के दौरान दोनों पक्षों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन करने वाले चीनी के बारे में भी बात कर रहा है जो उन स्थानों पर किसी भी प्रकार के निर्माण पर प्रतिबंध लगाता है जहां एलएसी की धारणा दोनों पक्षों के बीच भिन्न थी। चीनियों ने फिंगर क्षेत्र में भी निर्माण किया है जहां भारतीय क्षेत्र फिंगर 8 तक फैला हुआ है। भारतीय पक्ष इस बात पर अडिग है कि चीन को पहले disengagement करना चाहिए और फिर दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख और देपसांग मैदानों और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्रों से डी-एस्केलेशन पर चर्चा कर सकते हैं। भारत और चीन अप्रैल मई के बाद से ही लद्दाख में LAC पर सीमा विवाद को सुलटाने के लिए लगातार वार्ता कर रहे हैं। (ANI)