नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच तनाव कम करने के लिए आज एक बार फिर कोर कमांडर लेवल की बातचीत हो रही है। इस महीने में ये तीसरा मौका है जब दोनों देशों के बीच कोर कमांडर लेवल की बातचीत हो रही है। खास बात ये है कि ये बैठक भारतीय क्षेत्र चुशूल में आयोजित की जा रही है। अब तक की पिछली दो बैठकें चीनी पक्ष में मोल्डो में हुई थी। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद ये दूसरी बार है जब कोर कमांडर लेवल की बात हो रही है। कोर कमांडर लेवल की बातचीत का एजेंडा दोनों देशों के बीच गतिरोध को कम करना है।
नो कंप्रोमाइज पॉलिसी के तहत आज फिर से भारत अपनी बात चीनी सेना के अधिकारियों के सामने रख रहा है। बता दें कि इसी महीने की 15 तारीख को भारत और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के भी 43 से ज्यादा जवानों के मारे जाने की खबर थी। चीन ने अबतक मारे गए जवानों की संख्या का खुलासा नहीं किया है।
इस हिंसक झड़प ने दोनों देशों के तनाव को बढ़ा दिया है। यही वजह है कि आज एक बार फिर बातचीत हो रही है। कोर कमांडर लेवल की बातचीत का एजेंडा गतिरोध को कम करना है। दोनों देशों द्वारा बनाए गए पीछे हटने के प्रस्तावों को आगे लेकर जाना है जिसके तहत डिसएंजेगमेंट के लिए दोनों पक्षों के प्रस्ताव पर बात की जा रही है। सभी विवादास्पद क्षेत्रों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही तनाव कम करने और पहले जैसे हालात बनाने पर जोर होगा।
बता दें कि एलएसी पर जारी गतिरोध के बीच लद्दाख इलाके में भारत और चीन ने अपने-अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है। वायुसेना भी अलर्ट पर है। चीन से लगे 3488 किलोमीटर लंबे बॉर्डर पर भारत ने चीन को माकूल जवाब देने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। एक महीने में ये तीसरा मौका होगा जब दोनों देशों के बीच बातचीत होगी।
इससे पहले कोर कमांडर स्तर पर एक बैठक 6 जून को हुई थी, जबकि दूसरी बैठक 22 जून को हिंसक झड़प के बाद हुई थी। 22 जून को दोनों देशों के बीच मैराथन बैठक हुई थी। चीनी सेना के आग्रह पर यह बैठक बुलाई गई थी जो करीब 11 घंटे चली थी। बातचीत के दौरान भारत ने चीन से कहा कि वो एलएसी से सैनिकों की वापसी के लिए समय सीमा बताए। इसके अलावा फिंगर 4 पर 2 मई से पहले की स्थिति और तैनाती को बनाए रखने के लिए कहा गया है। 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।