नई दिल्ली: भारत और चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे तनाव के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य व्यस्तता बढ़ा दी है। लेकिन, इसके साथ ही दोनों देशों के सोशल मीडिया यूजर्स के बीच डिजिटल परिदृश्य में एक अलग ही तरह का धारणा युद्ध शुरू हो गया है। महज एक फोन और इंटरनेट कनेक्शन से लैस, दोनों देशों में गुमनामी के पर्दे के पीछे छिपे हुए यूजर्स मौखिक रूप से द्वंद्व में लगे हुए हैं। वे भारतीय और चीनी सैनिकों के उन असत्यापित वीडियो व तस्वीरों पर अपनी विभिन्न प्रतिक्रियाएं व्यक्त कर रहे हैं, जिनमें वह खून से लथपथ एक-दूसरे को बेरहमी से पीटते दिखाई दे रहे हैं।
यह वीडियो और तस्वीर कैसे और कहां से आई, इसकी केवल अटकलें ही लगाई जा रही हैं, लेकिन इस धारणा युद्ध ने इस मुद्दे को हल करने के लिए वार्ता की गंभीरता को जरूर कम कर दिया है। चीन के यह अनाम यूजर कोविड-19 महामारी फैलाने में चीन की जिम्मेदारी से दुनिया का ध्यान हटाने के छिपे हुए एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
इन अपुष्ट वीडियो के बीच, एक क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसमें एक घायल चीनी सैनिक दिखाई दे रहा है। भारतीय सैनिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के उन लोगों का पीछा कर रहे हैं, जिन्होंने अपने हाई मोबिलिटी मल्टीपर्पज व्हीकल व्हीकल (हम्वे) को छोड़ दिया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर एक चीनी नागरिक के असत्यापित यू-ट्यूब अकाउंट के माध्यम से दिखाई दिया और भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा प्रसारित किए जाने के बाद यह वायरल हो गया।
इसके अलावा एक असत्यापित और दिनांक रहित तस्वीर में पांच भारतीय सैनिक जमीन पर खून से लथपथ दिखाई दे रहे हैं और उनके ठीक सामने चीनी सैनिक खड़े दिखाई दे रहे हैं। इस तस्वीर ने भी सोशल मीडिया युद्ध छेड़ दिया है। यह तस्वीर एक चीनी नागरिक के असत्यापित ट्विटर अकाउंट के माध्यम से सोशल मीडिया पर सामने आई और फिर ज्यादातर चीनी सोशल मीडिया यूजर द्वारा भारतीय सैनिकों को अपशब्द कहते भी देखा गया।
इसके बाद रविवार को सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रतिक्रियाओं के साथ एक प्रकार का बयानबाजी युद्ध शुरू हो गया। दोनों देशों के प्रतिनिधि वीडियो और तस्वीर पर चुप रहे, मगर ऑनलाइन युद्ध जरूर छिड़ गया। तस्वीर और वीडियो से यह स्पष्ट है कि चीन ने हिंसा के इस स्तर के लिए अच्छी तरह से योजना बनाई है, क्योंकि उन्हें धातु की छड़ें (मेटल रॉड) और हम्वे चलाते हुए देखा गया था। यह भी स्पष्ट है कि चीन ने एलएसी में बहुत बड़ा बुनियादी ढांचा विकसित किया है और अपने हजारों सैनिकों को भी तैनात किया है।
धारणा युद्ध से किसको लाभ होगा यह अभी भी बहस का विषय है। लेकिन यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे को अपशब्द कहने लगे हैं। हालांकि ऐसे असत्यापित वीडियो या तस्वीरों पर भारतीय सेना अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुकी है। भारतीय सेना ने रविवार को एक सोशल मीडिया पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के एक कथित वीडियो के सामने आने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी सामग्री को प्रमाणित नहीं किया गया है।
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में कोई हिंसा नहीं हो रही है और प्रोटोकॉल के तहत बातचीत के माध्यम से मतभेदों को हल किया जा रहा है। सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों को सनसनीखेज बनाने के प्रयासों की भी निंदा की है।
पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। तीन से चार स्थान ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जहां पर पांच मई से ही विशेष तौर पर निगरानी रखी जा रही है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्षों ने चार स्थानों पर 1000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख और पैंगवान घाटी क्षेत्र के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में कड़ी निगरानी रख रही है, जहां चीन ने तैनाती बढ़ा दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि सरकार किसी भी परिस्थिति में भारत के गौरव को चोट नहीं पहुंचने देगी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा मध्यस्थता की पेशकश पर रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क टी. एस्पर को बताया कि भारत और चीन के पास राजनयिक और सैन्य स्तरों पर बातचीत के माध्यम से समस्याओं को हल करने के लिए मौजूदा तंत्र मौजूद है। वहीं चीनी विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि दोनों देश बातचीत के माध्यम से सीमा संबंधी मुद्दों को हल करने में सक्षम हैं।