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विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बड़ा बयान, भारत-चीन संबंध खराब होने की वजह बताया बीजिंग की बेईमानी

विदेश मंत्री ने कहा कि चीन ने एलएसी पर भारी साजो-सामान के साथ दसियों हजार सैनिकों की तैनाती कर दी है। इससे हमारे संबंधों को नुकसान हुआ है। पूर्वी लद्दाख का मसला अब बहुत बड़े मुद्दे में तब्दील हो गया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 10, 2020 17:40 IST
India-China bilateral relationship significantly damaged this year, admits Jaishankar- India TV Hindi
Image Source : PTI विदेश मंत्री ने कहा कि चीन ने एलएसी पर भारी साजो-सामान के साथ दसियों हजार सैनिकों की तैनाती कर दी है।

नई दिल्ली: भारत ने माना कि भारत-चीन संबंधों को काफी नुकसान पहुंचा है और बीजिंग की बेईमानी इसके लिए जिम्मेदार है। चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बड़े पैमाने पर सैन्य टुकड़ी की तैनाती की है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोय इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन इंटरेक्टिव सत्र के दौरान कहा कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर इतनी संख्या में सेना तैनात करने के पीछे पांच अलग-अलग तरह की वजहें बताते हुए सफाई दी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चीन की तरफ से द्विपक्षीय समझौते के इस उल्लंघन ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाया है।

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उन्होंने कहा, "हम आज चीन के साथ हमारे संबंधों के शायद सबसे कठिन दौर में हैं। निश्चित तौर पर पिछले 30 से 40 साल या आप कह सकते हैं कि उससे भी ज्यादा समय के दौरान यह सबसे ज्यादा कठिन समय है।" जयशंकर ने कहा कि हम इस बात पर स्पष्ट हैं कि एलएसी पर शांति और बराबरी ही संबंधों की प्रगति का आधार है। सीमा पर ऐसी स्थिति के साथ यह नहीं कहा जा सकता कि अन्य सभी क्षेत्रों में जीवन की गतिविधि को आगे बढ़ाएं। यह गैरवाजिब है।

विदेश मंत्री ने कहा, "हमने 1988 में ऐसी समस्या का सामना किया है। यह हमारे रिश्ते में एक अवरोध था। तब से हमारे बीच मतभेद थे, लेकिन मोटे तौर पर संबंधों की दिशा सकारात्मक रखी गई थी।" उन्होंने कहा, "यह सब इस तथ्य पर आधारित था कि हम सीमा के मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रहे थे।"

जयशंकर ने ये भी कहा कि इस साल 15 जून को हुए गलवान घाटी की झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए हैं, जिसने पूरे देश की भावनाओं को बदल दिया है। जयशंकर ने कहा कि बड़ा मुद्दा यह है कि रिश्ते को पटरी पर कैसे लाया जाए। उन्होंने कहा, "हमारे पास संचार के कई स्तर हैं। संचार समस्या नहीं है, मुद्दा यह है कि हमारे बीच समझौते हैं और उन समझौतों पर गौर नहीं किया जा रहा है।"

उन्‍होंने कहा कि इस दौरान सीमा को लेकर हमारी वार्ता चलती रही और उसके इर्द-गिर्द हमारे सुरक्षा बल गश्त भी करते रहे लेकिन आपसी समझ को नुकसान पहुंचाने वाली बड़ी घटना कभी नहीं हुई। विदेश मंत्री ने कहा, 1993 से हमारे बीच कई समझौते हुए। इनमें वादा किया गया कि दोनों देश सीमा पर कभी भी बड़ी संख्या में सैनिकों-हथियारों की तैनाती नहीं करेंगे। अब चीन सरकार ने सेना की तैनाती के लिए पांच कारण बताए हैं। 

विदेश मंत्री ने कहा कि चीन ने एलएसी पर भारी साजो-सामान के साथ दसियों हजार सैनिकों की तैनाती कर दी है। इससे हमारे संबंधों को नुकसान हुआ है। पूर्वी लद्दाख का मसला अब बहुत बड़े मुद्दे में तब्दील हो गया है। अमेरिका से रिश्तों के संबंध में जयशंकर ने कहा, हमारे रिश्तों का ढांचा बन गया है और उन्हें मजबूती देने के लिए समझौते हो रहे हैं। निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी भारत को लेकर सकारात्मक सोच दर्शायी है। हमारी दोस्ती का भविष्य सकारात्मक है।

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