नई दिल्ली। भारत और चीन ने 11वें दौर की सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख में जमीनी स्तर पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाये रखने तथा किसी भी नयी घटना को टालने पर सहमति व्यक्त की। भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास विवाद वाले क्षेत्रों में मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार बकाया मुद्दों को तेजी से सुलझाने की आवश्यकता पर सहमत हो गए हैं। दोनों पक्षों की ओर से इस कदम के साथ ही संपूर्ण डी-एस्केलेशन (सैनिकों का पीछे हटना) का मार्ग प्रशस्त हुआ है। भारत सरकार की ओर से शनिवार को यह जानकारी दी गई।
वार्ता के एक दिन बाद भारतीय सेना ने शनिवार को कहा कि दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों एवं व्यवस्थाओं के अनुसार लंबित मुद्दों को शीघ्र निपटाने की आवश्यकता पर सहमति जताई। इसने एक बयान में कहा, 'दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों के पीछे हटने से संबंधित बाकी मुद्दों के समाधान को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया।' उसने कहा, 'दोनों पक्षों ने मौजूदा समझौतों एवं व्यवस्थाओं के अनुसार लंबित मुद्दों के शीघ्र निपटारे की जरूरत पर सहमति जताई।'
9 अप्रैल को चुशूल में हुई थी बैठक
सरकार के एक बयान में कहा गया है, "दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार बकाया मुद्दों को तेजी से सुलझाने की आवश्यकता पर सहमत हुए हैं।" बता दें कि, भारत-चीन कोर कमांडर स्तरीय 11वें दौर की बैठक 9 अप्रैल को चुशूल में बैठक स्थल पर आयोजित की गई थी। कोर कमांडर स्तर की 11 वें दौर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में चुशूल सीमा चौकी पर भारतीय क्षेत्र में हुई। वार्ता पूर्वाह्न साढ़े दस बजे शुरू हुई और रात साढ़े 11 बजे खत्म हुई। इस दौरान पूर्वी लद्दाख में अगले चरण की सैनिकों के पीछे हटाने की प्रक्रिया पर चर्चा हुई, जो 13 घंटे तक चली। लगभग दो महीने के अंतराल के बाद चुशुल में कोर कमांडर स्तर की 11वीं वार्ता हुई है। इसमें भारतीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी. जी. के. मेनन ने किया।
सेना ने कहा कि इस संदर्भ में इसबात को प्रमुखता से रखा गया कि अन्य क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी से दोनों सैन्यबलों के बीच तनाव कम करने पर गौर करने तथा शांति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करने और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। उसने कहा, 'दोनों पक्ष इस बात पर राजी थे कि अपने नेताओं से मार्गदर्शन एवं सहमति प्राप्त करना, संवाद जारी रखना तथा बाकी मुद्दों के यथाशीघ्र परस्पर स्वीकार्य हल की दिशा में काम करना अहम है।' उसने कहा, 'वे सीमावर्ती क्षेत्र में जमीनी स्तर पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाये रखने तथा किसी भी नयी घटना से बचने पर सहमत हुए हैं।'
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ-साथ सैनिकों के पीछे हटने से जुड़े बाकी मुद्दों के समाधान के लिए विचारों का विस्तृत आदान-प्रदान हुआ। इस संदर्भ में यह भी रेखांकित किया गया कि अन्य क्षेत्रों में सैनिको को पीछे हटाने से दोनों पक्षों के लिए सेनाओं की संख्या में कमी करने और शांति व सौहार्द की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करने तथा द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सफल बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
दोनों पक्ष इस बात पर सहमत रहे कि अपने नेताओं की सहमति से मार्गदर्शन लेना, अपने संवाद को जारी रखना और शेष मुद्दों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में जल्द से जल्द काम करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने जमीन पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाए रखने, किसी भी नई घटना से बचने और संयुक्त रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर भी सहमति जताई है।
भारतीय और चीनी सेना के बीच पिछले करीब एक साल से पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में गतिरोध बना हुआ है, जिसे कम करने के लिए दोनों देशों की सेना प्रयासरत हैं। बता दें कि, पिछले साल पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बीच भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध पैदा हो गया था तथा दोनों ही पक्ष धीरे धीरे हजारों सैनिकों एवं युद्धक अस्त्रों के साथ अपनी तैनाती बढ़ाते चले गये। कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता के फलस्वरूप दोनों पक्षों ने पीछे हटने पर बनी सहमति के आधार पर फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों पर सैनिकों एवं युद्धक अस्त्रों को हटाने का काम पूरा किया। भारत इस बात पर बल देता रहा है कि देपसांग, हॉटस्प्रिंग, गोगरा समेत सभी लंबित मुद्दों का समाधान दोनों देशों के संपूर्ण संबंधों के लिए अनिवार्य है।