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ये हैं दुनिया के कुछ दंग कर देने वाले टैक्स, भारत भी शामिल

दिल्ली में यह अजीबो-गरीब तरह का टैक्स 1 अप्रैल 2012 से लगने वाला था, जिसमें भीड़ वाली जगहों पर पीक आवर्स में निजी गाड़ी ले जाने पर तय शुल्क देना पड़ता। हालांकि इस तरह के टैक्स पर एक राय नहीं बनी और इसे आगे के लिए विचाराधीन रखा गया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 01, 2018 10:58 IST

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Budget 2018: यहां घूस देने पर थी टैक्स में छूट तो दाढ़ी पर लगाया टैक्स, ये हैं दुनिया के दंग कर देने वाले टैक्स

 
ब्रेस्ट टैक्स
क्या कभी आपने ब्रेस्ट टैक्स के बारे में सुना है? इतिहास में ऐसा भी हुआ है। दक्षिण भारत में स्‍टेट ऑफ त्रावनकोर (अब केरल) में महिलाओं पर ब्रेस्‍ट टैक्‍स (मुलाक्‍करम टैक्‍स) लगाया जाता था। 19वीं सदी के शासकों ने वहां यह नियम बनाया था कि छोटी जाति की महिलाएं अपने तन को ऊपर से ढक नहीं सकतीं। उन्‍हें उसे खुला रखना होगा। अगर कोई महिला अपना ऊपरी शरीर ढकती हैं तो उसे टैक्‍स देना होगा। यहां की एक बहादुर महिला नांगेली के बलिदान की बदौलत यह प्रथा खत्‍म हुई। इस महिला ने अपने तन को ढका और टैक्‍स लेने वाले अधिकारी को अपनी ब्रेस्‍ट काटकर ही टैक्‍स के रूप में दे दी। नांगेली की मौत हो गई, मगर उस घटना के अगले ही दिन त्रावनकोर के महाराजा ने यह टैक्‍स हटा दिया।

बैचलर टैक्स
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं। जूलियस सीज़र ने इंग्लैंड में 1695 में, पीटर द ग्रेट ने बैचलर टैक्स को 1702 में लागू किया। मुसोलिनी ने भी सन् 1924 में 21 वर्ष से लेकर 50 वर्ष की आयु के बीच अविवाहित पुरुषों पर बैचलर टैक्स लगाया। इन बैचलर्स को बिना कपड़ों के बाजार में अपना ही मजाक उड़ाते हुए घूमना पड़ता था।
 
कंजेशन टैक्स
दिल्ली में यह अजीबो-गरीब तरह का टैक्स 1 अप्रैल 2012 से लगने वाला था, जिसमें भीड़ वाली जगहों पर पीक आवर्स में निजी गाड़ी ले जाने पर तय शुल्क देना पड़ता। हालांकि इस तरह के टैक्स पर एक राय नहीं बनी और इसे आगे के लिए विचाराधीन रखा गया। हालांकि आपको बता दें कि लंदन और मिलान में कंजेशन टैक्स लगा हुआ है।
 
यूरिन टैक्स
रोम के राजा वेस्पेशन ने पब्लिक यूरिनल पर टैक्स की व्यवस्था की। इतना ही नहीं इंडस्ट्री में यूज के लिए यूरिन की सेल से भी रेवेन्यू कलेक्ट करने की व्यवस्था की गई थी। जब उनके बेटे टाइटस ने इस पॉलिसी पर सवाल उठाया तो वेस्पेशन ने उसके नाक पर एक सिक्का लगा दिया और उससे कहा, 'Money doesn't stink - पैसों से दुर्गंध नहीं आती।'
 
घूस देने पर थी टैक्स छूट
साल 2002 तक कुछ खास परिस्थितियों में जर्मनी में घूस पर टैक्स छूट मिलती थी। 1995 में बिजनेस वीक मैगजीन के एडिटोरियल के मुताबिक, इन नियमों के हिसाब से कुछ मामलों में घूस लीगल थी हालांकि इस नियम का कभी-कभी ही इस्तेमाल होता था। इसके तहत घूस देने वाले को दूसरी पार्टी का नाम बताना होता था। साथ ही इस लेन-देन का या फिर दोनों पक्षों का कोई क्रिमिनल कनेक्शन न होना भी जरूरी था। इसका हिसाब सीधा था, इससे घूस का लेन-देन भी सामने आ जाता था और घूस देने वाले को टैक्स छूट मिल जाती थी। हालांकि घूस लेने वाले की आय पर टैक्स लगता था। नियम का बहुत फायदा नहीं होने और गलत इस्तेमाल ज्यादा होने के बाद यह टैक्स हटा लिया गया।

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