नई दिल्ली: भारत सैन्य शक्ति के मामले में विश्व में चौथा सबसे शक्तिशाली देश बन गया है। भारत ने इस मामले में फ़्रांस, इंग्लैंड, जापान और जर्मनी जैसे देशों को पीछे छेड़ दिया है। ग्लोबल फ़ायरपॉवर की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका विश्व का सबसे शकितिशाली देश है जबकि उसके बाद रुस और चीन आते हैं। (ये भी पढ़ें: भारत सैन्य शक्ति में विश्व का चौथा शक्तिशाली देश, फ़्रांस, इंग्लैंड और जापान को पछाड़ा)
भारतीय सेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी सेना है। भारतीय सेना के बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसे मिसाइल हैं। भारत के पास 2,102 विमानों का बेड़ा है, जिसमें सुखोई एम 30, मिग-29, मिग-27, मिग-21, मिराज और जगुआर जैसे आधुनिक विमान हैं।
तो आइये जानते हैं भारत के 10 ताकतवर हथियारों के बारे में-
सुखोई -30Mki: सुखोई-30 फाइटर जेट को रूस ने बनाया है। इस फाइटर जेट को दुनिया के बेहतरीन एयरक्राफ्ट्स में गिना जाता है। इसकी लम्बाई 21.93 मीटर और चौड़ाई (विंग स्पान) 14.7 मीटर है। बगैर हथियार के इसका वज़न 18 हजार चार सौ किलोग्राम है। हथियार के साथ इसका वजन 26 हजार किलोग्राम से अधिक हो सकता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 2100 किलोमीटर प्रति घंटा है।
ब्रह्मोस मिसाइल: ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। मल्टी मिशन मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर की है और इसकी गति 208 मैक यानी ध्वनि की क्षमता से तीन गुना तेज़ है। मिसाइल 'स्टीप डाइव कैपेबिलीटीज' से सुसज्जित है जिससे यह पहाड़ी क्षेत्रों के पीछे छिपे टारगेट पर भी निशाना साध सकती है।
आईएएनएस चक्र-2: परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 नौसेना का बड़ा हथियार है। मूल रूप से 'के-152 नेरपा' नाम से निर्मित अकुला-2 श्रेणी की इस पनडुब्बी को रूस से एक अरब डॉलर के सौदे पर 10 साल के लिए लिया गया है। नौसेना में शामिल करने से पहले इसका नाम बदलकर आईएनएस चक्र-2 कर दिया गया। यह पनडुब्बी 600 मीटर तक पानी के अंदर रह सकती है। यह तीन महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती है। नेरपा पनडुब्बी की अधिकतम गति 30 समुद्री मील है और ये आठ टॉरपीडो से लैस है। यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन के मुताबिक यह अनुबंध 90 करो़ड डॉलर से ज्यादा का है।
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