नयी दिल्ली: भारत और जापान ने क्षेत्र में नियंत्रण बढ़ाने के चीन के प्रयासों की पृष्ठभूमि में तनाव बढ़ाने वाली किसी भी गतिविधि या बल प्रयोग से यथास्थिति में एकपक्षीय तरीके से बदलाव करने की किसी भी कोशिश का मंगलवार को पुरजोर विरोध किया और एक स्वतंत्र तथा खुली समुद्री व्यवस्था के महत्व को रेखांकित किया। जापान के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी के बीच टेलीफोन पर बातचीत के दौरान क्षेत्रीय हालात से संबंधित विषय आये।
इसमें कहा गया, ‘‘दोनों मंत्रियों ने पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर समेत क्षेत्रीय स्थितियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और अपने सतत करीबी सहयोग को दोहराया।’’ बयान के अनुसार, ‘‘इस संदर्भ में मंत्रियों ने क्षेत्र में चल रहे मौजूदा घटनाक्रमों के मद्देनजर विचारों का आदान-प्रदान करते रहने का अपना इरादा जाहिर किया और यह स्पष्ट संदेश देने पर सहमत हुए कि वे तनाव बढ़ाने वाली किसी गतिविधि से या बल प्रयोग से यथास्थिति को एकपक्षीय तरीके से बदलने की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध करते हैं।’’
भारत के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर तथा कानून की व्यवस्था पर स्वतंत्र एवं खुली समुद्री व्यवस्था की जरूरत पर विचारों का आदान-प्रदान किया। कोरोना वायरस महामारी के बावजूद चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में तथा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य प्रभुत्व दर्शाने की कोशिश कर रहा है। भारत और जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती परिस्थितियों पर नियमित बातचीत करते रहे हैं और उन्होंने समान चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने का संकेत दिया है।
सितंबर में दोनों देशों ने एक ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत किये थे जिसमें उनकी सेनाओं को साजो-सामान संबंधी मदद के लिए एक दूसरे के केंद्रों तक पहुंच की अनुमति है। राजनाथ सिंह ने एक ट्वीट में कहा कि भारत, जापान के साथ अपनी साझेदारी को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच जारी रक्षा सहयोग पर हमने संतोष व्यक्त किया। विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी के तहत भारत जापान के साथ सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।” सिंह ने बातचीत में किशी को रक्षा मंत्री बनने पर बधाई दी और कोविड-19 महामारी के बावजूद दोनों देशों के बीच जारी रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।