नयी दिल्ली: पर्यावरण हितैषी, साफ सुथरे और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित पर्यटन सुविधाओं से युक्त भारत के 13 समुद्र तटों को ‘ब्लू फ्लैग बीच’ का दर्जा जल्द मिल जायेगा। उड़ीसा, महाराष्ट्र और अन्य तटीय राज्यों के ये समुद्र तट न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे एशिया में ब्लू फ्लैग बीच का दर्जा पाने वाले पहले समुद्र तट होंगे। समुद्र तटीय क्षेत्रों के प्रबंधन के क्षेत्र में पर्यावरण मंत्रालय के मातहत कार्यरत संस्था ‘सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटिड कोस्टल मैनेजमेंट’ (एसआईसीएम) की देखरेख में भारत के समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग मानकों के अनुरुप विकसित किया जा रहा है। एसआईसीएम के परियोजना अधिकारी अरविंद नौटियाल ने बताया कि समुद्र तटों को पर्यावरण और पर्यटन हितैषी बनाने के लिये ‘ब्लू फ्लैग बीच’ मानकों के तहत संबद्ध समु्द्र तट को प्लास्टिक मुक्त कर गंदगी से मुक्त करने, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से लैस करने, सैलानियों के लिये साफ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक पर्यटन सुविधायें विकसित करने और समुद्र तट के आसपास पर्यावरणीय प्रभावों के अध्ययन की सुविधाओं से लैस करना होता है। (उत्तर प्रदेश में पहली उड़ान सेवा इलाहाबाद से 14 जून को होगी शुरू, योगी आदित्यनाथ करेंगे उद्घाटन )
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यहां पांच दिवसीय आयोजन के दौरान समुद्र तटों को प्रदूषण मुक्त करने के उपायों पर हुए सम्मेलन में नौटियाल ने बताया कि ब्लू फ्लैग मानकों के तहत संबद्ध समुद्र तट को पर्यावरण और पर्यटन संबंधी 33 शर्तों का पालन सख्ती से करना होता है। उन्होंने बताया कि एशिया में अभी एक भी ‘ब्लू फ्लैग बीच’ नहीं है। उल्लेखनीय है कि ब्लू फ्लैग बीच के मानकों का निर्धारण डेनमार्क के कोपनहेगन स्थित फांउडेशन फॉर एनवायर्नमेंट एजूकेशन (एफईई) द्वारा 1985 में किया गया था। समुद्र तटों को पर्यावरण हितैषी बनाने के लिये चार क्षेत्रों में 33 मानकों वाले ब्लू फ्लैग कार्यक्रम को फ्रांस के पेरिस से शुरू कर दो साल के भीतर समूचे यूरोप में लगभग सभी समुद्र तटों को इस तमगे से लैस कर दिया गया। यह मुहिम साल 2001 में यूरोप के बाहर दक्षिण अफ्रीका पहुंची, हालांकि एशिया महाद्वीप अभी तक इससे अछूता था।
पर्यावरण मंत्रालय ने भारत में ‘ब्लू फ्लैग बीच’ के मानकों के मुताबिक समुद्र तटों को विकसित करने का पायलट प्रोजेक्ट दिसंबर 2017 में शुरु किया था। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि परियोजना के तहत सभी तटीय राज्यों से चिन्हित 13 समुद्र तटों को ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन के लिये चुना गया। इसके लिये एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के तहत इन समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग बीच मानकों के अनुरुप विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना के दो मूल मकसद हैं। पहला, भारत में लगातार गंदगी और प्रदूषण के शिकार होते समुद्र तटों को इस समस्या से मुक्त कराते हुये इनका पर्यावास दुरुस्त करना और दूसरा, सतत विकास और पर्यटन सुविधायें विकसित कर भारत में पारिस्थितकीय पर्यटन को विकसित करना है।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, उड़ीसा में कोणार्क तट पर चंद्रभागा बीच ब्लू टैग प्रमाणन की प्रक्रिया को पूरा करने में अव्वल रहा है। आगामी पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इसे यह तमगा दिया जा सकता है। महाराष्ट्र के अरावले, चिवला और भोगवे समुद्र तट को इस योजना का हिस्सा बनाया जा रहा है। इसके अलावा पुडुचेरी, गोवा, दमन दीव, लक्ष्यद्वीप और अंडमान निकोबार से एक एक बीच को ब्लू फ्लैग बीच के तौर पर चुना गया है।