नई दिल्ली: दिल्ली के स्कूलों से हर साल ढाई लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स 12वीं की परीक्षा पास करते है जिसमें से आधे स्टूडेंट्स को भी दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाता। दाखिला ना मिल पाने के कारण थक हार कर इन विद्यार्थीयों को अन्य यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में कम सीट का होना बताया जा रहा है। इसी समस्या का समाधान करने के लिए केन्द्र सरकार से यह मांग की जा रही है कि वह डीयू एक्ट में संशोधन कर दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटीज को भी कॉलेज एफिलिएट करने का अधिकार दे। ताकि दिल्ली में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए ज्यादा से ज्यादा सीट उपलब्ध कराई जा सकें।
इसके तहत विधानसभा द्वारा डीयू से जुड़े दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में दिल्ली के स्टूडेंट्स के लिए 85% सीटें रिजर्व करने का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं पिछले कुछ समय से आप सरकार द्वारा भी यह बात कही जा रही है कि दिल्ली के स्कूलों से पास करने वाले छात्रों का दाखिला उन कॉलेजों में कराया जाए जिन्हें दिल्ली सरकार फंड देती है। विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सभी विधायकों द्वारा दिल्ली के छात्रों को हायर एजुकेशन देने के मुद्दे पर बात चल रही थी। इस चर्चा पर एजूकेशन मिनिस्टर मनिष सिसोदिया ने जवाब देते हुए दो प्रस्ताव पेश किए।
पहले प्रस्ताव में डीयू से जुड़े दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में दिल्ली के स्टूडेंट्स के लिए 85% सीट रिजर्व करने की बीत कही गई है, वहीं दूसरा प्रस्ताव डीयू एक्ट में संशोधन से जुड़ा था। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली शहर में बाहर से कई बच्चे आकर 12वीं कक्षा की परीक्षा पास करते है, ऐसे में उन पासआउट बच्चों के लिए दिल्ली सरकार के कॉलेज में सीट रिजर्व होनी चाहिए। कुछ समय पहले दिल्ली सरकार की ओर से एचआरडी मिनस्ट्री को यह कहा गया था कि या तो दिल्ली से पासआउट विद्यार्थियों के लिए 85 पर्सेंट सीट रिजर्व की जाए या तो कटऑफ में 5 से 10 पर्सेंट की वेटेज दी जाए।