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SC/ST मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्काल’ गिरफ्तारी पर लगाई रोक

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पुलिस से कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के 2014 के एक आदेश द्वारा समर्थित सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन किए बगैर एक SC/ST महिला और उसकी बेटी पर हमले के आरोपी चार लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकती।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 12, 2018 8:07 IST
Allahabad High Court- India TV Hindi
Allahabad High Court

लखनऊ:  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पुलिस से कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के 2014 के एक आदेश द्वारा समर्थित सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन किए बगैर एक SC/ST महिला और उसकी बेटी पर हमले के आरोपी चार लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकती। यह मामला आईपीसी के साथ-साथ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून के तहत दर्ज हुआ था, लेकिन न्यायालय ने पुलिस को तत्काल ‘‘नियमित’’ (रूटीन) गिरफ्तारी करने से रोक दिया। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में न्यायमूर्ति अजय लांबा और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। साल 2014 में उच्चतम न्यायालय ने अर्णेश कुमार के मामले में आरोपी की गिरफ्तारी पर दिशानिर्देशों का समर्थन किया था। (तेलंगाना में कांग्रेस, TDP और CPI ने बनाया गठबंधन, राष्ट्रपति शासन की मांग )

सीआरपीसी की धारा 41 और 41-ए कहती है कि सात साल तक की जेल की सजा का सामना कर रहे किसी आरोपी को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक पुलिस रिकॉर्ड में उसकी गिरफ्तारी के पर्याप्त कारणों को स्पष्ट नहीं किया जाता।

उच्च न्यायालय का आदेश ऐसे समय पर आया है जब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून का दुरूपयोग रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से पारित आदेश को पलटने की मंशा से हाल में संसद ने इस कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किया है।

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