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ज्यादा हाइजीनिक रहने वालों को कोरोना का खतरा ज्यादा? एक स्टडी में किया गया खुलासा

स्वस्थ जीवन एवं समृद्धि के लिए स्वच्छता को बनाए रखना बेहद जरूरी है सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि जिन देशों में हाइजीन का स्तर खराब है, उन देशों के लोगों को कोरोना से मौत का खतरा साफ-सुथरे देशों की तुलना में कम है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : January 01, 2021 11:27 IST
जिन देशों में हाइजीन...
Image Source : AP जिन देशों में हाइजीन का स्तर खराब, वहां के लोगों को कोरोना से मौत का खतरा कम

नई दिल्ली: हम बचपन से ये बात सीखते आए हैं कि स्वच्छता ही स्वस्थ जीवन की निशानी है। स्वस्थ जीवन एवं समृद्धि के लिए स्वच्छता को बनाए रखना बेहद जरूरी है लेकिन सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि जिन देशों में हाइजीन का स्तर खराब है, उन देशों के लोगों को कोरोना से मौत का खतरा साफ-सुथरे देशों की तुलना में कम है। दुनिया भर में जारी कोरोना के कहर के बीच CSIR की ये रिपोर्ट चौंकाने वाली है। CSIR की रिपोर्ट से यह पता चलता है कि देश में स्वच्छता के वांछनीय स्तर से कम होने से भारतीयों को अन्य देशों के मुकाबले कोविड-19 से बेहतर तरीके से लड़ने में मदद मिली है।

CSIR की रिपोर्ट के मुताबिक जीवन में शुरुआती स्टेज में पैथोजन्स (रोगजनकों) के संपर्क में आने से लोगों को उम्र बढ़ने के साथ एलर्जी से होने वाली बीमारियों से बचाव मिलता है। इस थ्योरी को "हाइजिन हाइपोथेसिस" से लिया गया है। इसमें कहा गया है कि उच्च जीडीपी देशों में बेहतर हाइजिन और सुरक्षित सैनिटेशन तरीकों का एक नतीजा यहां ऑटोइम्यून बीमारियों में बढ़ोतरी के तौर पर सामने आता है। यह मान लिया गया है कि बेहतर हाइजिन तरीकों से किसी व्यक्ति की इम्यूनिटी कम हो सकती है और यह उसे ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए अतिसंवेदनशील बना सकता है।

गौरतलब है कि भारत स्वच्छता और स्वास्थ्य दोनों दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। कोरोनाकाल में भारत की ये स्वास्थ्य स्थिति उसकी मजबूती बन कर उभर रही हैं। भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि खराब स्वच्छता, स्वास्थ्य के लिए विषम परिस्थितियां और स्वच्छ पेयजल की कमी वाले देशों में कोरोनोवायरस बीमारी के कारण लोगों के मरने की आशंका कम है। ये अध्ययन काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस, पुणे और चेन्नई मैथमेटिकल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।

भारत में हाइजीन हाइपोथिसिस है, यानी अगर आपके शरीर को बचपन से ही रोगजनक वायरस से लड़ने की आदत है तो आप इस बीमारी का अच्छे से सामना कर सकते है। कम हाइजीन का मतलब ज्यादा इंफेक्शन का खतरा और इससे लड़ने के लिए आपका इम्यून सिस्टम बेहतर तरीके से काम करता है। अगर इम्यून इससे लड़ने में सक्षम नहीं है तो वायरस का अटैक इंसान को गंभीर स्थिति में ले जाएगा। भारत में कोरोना से मौतों का आंकड़ा बाकी विकसित देशों की तुलना में कम है उसका सबसे बड़ा कारण यही है कि भारत के लोगों में गंदगी और इंफेक्शन से लड़ने के लिए बेहतर इम्यूनिटी विकसित है।

CSIR के प्रमुख डॉ शेखर मांडे की ओर से लिखी स्टडी में कहा गया है, निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों में परजीवी और जीवाणु से फैलने वाली बीमारियां ज्यादा होती है। एक्सपर्ट के मुताबिक विकसित देशों में बेहतर स्वच्छता और इंफेक्शन के फैलने का खतरा कम रहता है, जिसकी वजह से लोगों में ऑटोइम्यून डिसॉर्डर और एलर्जी की समस्या रहती है। आप जानते हैं ऑटोइम्यून डिसॉर्डर कोविड-19 से होने वाली मौतों की बड़ी वजह है, क्योंकि बॉडी का अपना हाइपरेक्टिव इम्यून इंफेक्शन को नष्ट करने वाले साइटोकिन बनाता है। कम जीडीपी वाले देशों में उच्च संचारी रोगों के बोझ के लिए सैनिटेशन की कमी और निम्न हाइजिन तरीकों को जिम्मेदार माना जाता है।

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