बेंगलुरू/नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने कर्नाटक के आईएमए समूह से जुड़े पोंजी घोटाला मामले में 20 अचल संपत्ति समेत 209 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की है। ऐसा कहा जाता है कि इस कथित घोटाले में हजारों जमाकर्ताओं को चूना लगाया गया।
अधिकारियों ने बताया कि ईडी ने कर्नाटक के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं वक्फ विभाग के मंत्री बी जेड जमीर अहमद खान को मामले में पूछताछ के लिये पांच जुलाई को तलब किया है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि उसके बेंगलुरू स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत 197 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति एवं बैंक खातों में जमा 12 करोड़ रुपये को कुर्क करने का अस्थायी आदेश दिया है।
हालांकि मंत्री ने बेंगलुरू की एक संपत्ति बेचने के अलावा समूह या उसके फरार मुख्य प्रवर्तक मोहम्मद मंसूर खान के साथ किसी प्रकार का कारोबारी संबंध से इनकार किया है, लेकिन एजेंसी कंपनी तथा उसके कामकाज से संबंध को लेकर जमीर खान से पूछताछ करना चाहती है। ईडी ने हाल में आईएमए समूह की कंपनियों और उसके फरार मुख्य प्रवर्तक एवं प्रबंध निदेशक खान (समूह के प्रबंध निदेशक भी) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के प्रावधानों के तहत आपराधिक मामला दर्ज कराया था। एजेंसी ने इस रिपोर्ट के बाद मामला दर्ज किया था कि वह करीब 40,000 निवेशकों के करोड़ों के निवेश के डूबने की आशंका में भूमिगत होने की खबर के बाद मामला दर्ज किया।
एजेंसी ने कहा कि 51 बैंक खातों में 98 लाख रुपये तथा एचडीएफसी बैंक के एक खाते में 11 करोड़ रुपये मिले। ये खाते प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत चल रहे थे। मोदी सरकार ने 2016 में नोटबंदी के बाद पीएमजीकेवाई की घोषणा की थी। इसके तहत कालाधन रखने वालों को कर और 50 प्रतिशत जुर्माने के साथ पाक साफ होने के लिये एक बार की मोहलत दी गयी थी। सरकार ने कहा था कि इस प्रकार की घोषणा को गोपनीय रखा जाएगा।
ईडी ने कहा कि मंसूर खान ने नोटबंदी के दौरान 44 करोड़ रुपये विभिन्न बैंक खातों में जमा किये थे। इसके परिणामस्वरूप आयकर विभाग ने आईएमए समूह के खिलाफ कार्रवाई की। उसने तथा आईएमए समूह ने 22 करोड़ रुपये कर का भुगतान किया। जांच के दौरान एक बैंक खाते में 11 करोड़ रुपये होने का पता चला। जांच में पता चला कि आईएमए समूह कोई कारोबार नहीं कर रहा था और लोगों के निवेश पर मासिक रिटर्न का वादा कर रहा था। खान पोंजी योजना चला रहा था और समूह के कर्मचारी एवं निदेशक उसके इशारों पर काम कर रहे थे। कर्नाटक सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।