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IIT हैदराबाद के छात्र ने की आत्महत्या, कहा- मेरा शव दफनाएं नहीं, मेडिकल इस्तेमाल के लिए दान कर दें

25 वर्षीय मार्क एंड्रयू चार्ल्स उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले थे। इस सप्ताह उन्हें एक प्रेजेंटेशन देना था जिसके बाद उनका कोर्स पूरा हो जाता।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 03, 2019 23:10 IST
छात्र मार्क एंड्रयू...- India TV Hindi
छात्र मार्क एंड्रयू चार्ल्स चार्ल्स उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले थे

हैदराबाद: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-हैदराबाद (IIT-एच) के छात्र मार्क एंड्रयू चार्ल्स ने कोर्स में और भावी जीवन में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने के डर मात्र से आत्महत्या कर ली। चार्ल्स अगले तीन दिनों में आईआईटी-एच से मास्टर ऑफ डिजाइनिंग का कोर्स पूरा करने वाले थे। उन्हें डर था कि उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहेगा।

25 वर्षीय चार्ल्स उत्तर प्रदेश के वाराणसी के रहने वाले थे। इस सप्ताह उन्हें एक प्रेजेंटेशन देना था जिसके बाद उनका कोर्स पूरा हो जाता।

पुलिस ने कहा कि छात्र का शव संगारेड्डी जिले के कांडी के आईआईटी-एच कैंपस के उनके कमरे से मंगलवार को बरामद किया गया। बार-बार दरवाजा खटखटाने के बाद जब नहीं खुला तो उनके दोस्तों ने दरवाजे को तोड़ दिया और वह कमरे में छत से लटके मिले।

पुलिस के अनुसार, चार्ल्स ने हाल ही में परीक्षा दी थी। उनके अवसादग्रस्त होने का संदेह था। चार्ल्स ने छह पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि छात्र ने आत्महत्या का कारण खराब अंक का मिलना व नौकरी पाने में विफलता को बताया है। उन्होंने लिखा है, "मेरे पास नौकरी नहीं है, शायद मुझे नहीं मिलेगी। कोई भी एक असफल व्यक्ति को नहीं रखता। मेरी ग्रेड शीट को देखकर ताज्जुब होता है। यह एक वर्णमाला चार्ट की तरह दिखती है।"

अगर सुसाइड नोट से अंदाज लगाया जाए तो साफ लग रहा है कि चार्ल्स जीवन के कड़े संघर्ष को संभाल नहीं सके और हार मान बैठे। दुनिया से जाते वक्त उन्हें इस बात का मलाल भी था अन्यथा, वह ऐसे इनसान थे जिसे अपने परिवार, दोस्तों और देश-समाज से पूरा स्नेह था। उन्होंने लिखा कि वह अपने माता-पिता के त्याग के साथ न्याय नहीं कर सके। उन्होंने लिखा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं आप सभी को निराश कर दूंगा। मुझे मिस मत करिएगा, मैं इसके लायक नहीं हूं। मैं योग्य नहीं हूं।"

चार्ल्स ने अपने भाई को सलाह दी कि वह बहादुर बने और उन चीजों से दूर रहे जो उसके करियर को तबाह कर सकती है। उन्होंने अपने दोस्तों से कहा कि जिंदगी को आईटी उद्योग में ही न खपा देना, बल्कि खुश रहकर जिंदगी जीना। चार्ल्स ने लिखा, "आईटी में काम करते-करते अपनी लाइफ मत भूल जाना। रोज जीना। एक ही जिंदगी मिली है।"

चार्ल्स ने सुसाइड नोट में अपने माता-पिता से आग्रह किया कि वे उन्हें दफनाएं नहीं बल्कि उनके शव को मेडिकल इस्तेमाल के लिए दान कर दें। उन्होंने लिखा, "मैं भारत के भावी चिकित्सकों के लिए एक आदर्श शव साबित होऊंगा।"

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