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'अगर किसान कोरोना फैलाता तो दिल्ली की सीमाओं पर सबसे ज्यादा मामले होते'

गाज़ीपुर बॉर्डर पर ‘प्रोग्रेसिव मेडिकोस एवं साइंटिस्ट फ्रंट’ (पीएमएसएफ) के चिकित्सा शिविर में काम कर रहे अनिल भारतीय ने ‘भाषा’ से कहा, “ गाज़ीपुर में कोविड के मामले नहीं आए हैं। कुछ लोगों में लक्षण जरूर दिखे लेकिन लक्षण नियमित दवाई देने के बाद दो-तीन दिन में ठीक हो गए।”

Written by: Bhasha
Published on: June 06, 2021 12:13 IST
If the farmer spread corona, there would have been maximum number of cases on the borders of Delhi s- India TV Hindi
Image Source : PTI 'अगर किसान कोरोना फैलाता तो दिल्ली की सीमाओं पर सबसे ज्यादा मामले होते'

नई दिल्ली. कोरोना वायरस संक्रमण के मामले कम होने संबंधी खबरों से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे प्रदर्शनकारी किसानों ने राहत की सांस ली है। ऐसा कहा जा रहा था कि संक्रमण के मामलों के चलते प्रदर्शन स्थलों पर किसानों की संख्या कम होती जा रही है। हालांकि किसानों का दावा है कि कोरोना संक्रमण का असर सिंघू, टीकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर पर लगभग नहीं के बराबर था। जम्हूरी किसान सभा के महासचिव और विवादित कानूनों को लेकर सरकार के साथ बातचीत करने वाली टीम में शामिल रहे कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि लोगों की संख्या कम नहीं थी, बल्कि ‘‘हमने खुद प्रशासन के आग्रह पर लोगों की तादाद को आंदोलन स्थल पर कम रखा था।’’

संधू ने ‘भाषा’ से कहा, “दिल्ली की सीमाओं पर अभी करीब 60-70 हजार लोग बैठे हुए हैं। एक दो-दिन में इनकी संख्या एक लाख हो जाएगी, मगर हम इससे ज्यादा लोग नहीं आने देंगे।” उन्होंने कहा, “प्रशासन ने हमसे कहा था कि हम (प्रशासन) कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, इसलिए लोगों को न बुलाएं।”

महामारी की जबर्दस्त लहर के बावजूद तीनों आंदोलन स्थलों से संक्रमण के मामले नहीं आने के सवाल पर संधू ने कहा, “कोरोना वायरस का कोई मामला होगा तो हम क्यों नहीं बताएंगे? हम जीवन देने के लिए लड़ रहे हैं… जीवन खोने के लिए थोड़ी लड़ रहे हैं।” उन्होंने दावा किया, “सिंघू बॉर्डर पर दो मौत कोरोना वायरस से बताई गई थीं लेकिन वे कोरोना से नहीं हुई थीं। एक व्यक्ति की मौत शुगर बढ़ने से और दूसरे की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।”

हालांकि आंदोलन में आए लोगों का कहना है कि कुछ लोगों में खांसी, जुकाम के लक्षण तो दिखे लेकिन वे दो-तीन दिन में ठीक हो गए। गाज़ीपुर बॉर्डर पर ‘प्रोग्रेसिव मेडिकोस एवं साइंटिस्ट फ्रंट’ (पीएमएसएफ) के चिकित्सा शिविर में काम कर रहे अनिल भारतीय ने ‘भाषा’ से कहा, “ गाज़ीपुर में कोविड के मामले नहीं आए हैं। कुछ लोगों में लक्षण जरूर दिखे लेकिन लक्षण नियमित दवाई देने के बाद दो-तीन दिन में ठीक हो गए।”

उन्होंने कहा कि मई के मध्य में सिर्फ दो लोगों ने तेज बुखार की शिकायत की थी जिनमें से एक तो वापस गांव चला गया जबकि दूसरा यहां उपलब्ध दवा से ठीक हो गया। टीकरी बॉर्डर पर स्थित चिकित्सा शिविर के फार्मेसिस्ट फरियाद खान ने भी यही बात कही कि खांसी, ज़ुकाम और बुखार के मरीज आए जरूर, लेकिन वे तीन दिन में ठीक हो गए और किसी को भी पृथक करने की जरूरत नहीं पड़ी। इसी शिविर में स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहे परेश देसवाल ने बताया कि लोग यहां पर कोविड उपयुक्त व्यवहार, मसलन दो गज की दूरी या नियमित तौर पर मास्क पहनने का पालन नहीं कर रहे हैं, फिर भी यहां मामले नहीं आ रहे हैं। देसवाल ने कहा, “ हमने बहादुरगढ़ के सिविल अस्पताल से बात की हुई है लेकिन अब तक किसी को भी इलाज के लिए वहां भेजने की जरूरत नहीं पड़ी।”

गाजीपुर बॉर्डर पर धरने में शामिल बिजनौर के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले और नोएडा के एक संस्थान से बी.टेक कर रहे हर्षित ने आंदोलन स्थलों से संक्रमण के मामले नहीं आने पर कहा कि किसान खेतों में भरी दोपहरी काम करते हैं, भैंस का ताज़ा दूध पीते हैं जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो जाती है, इसलिए कोरोना वायरस के जबर्दस्त प्रकोप के बावजूद आंदोलन में मामले नहीं आए। वहीं, देसवाल ने कहा, “ मैं नहीं कहता कि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है, इसलिए यहां मामले नहीं आ रहे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता तो गांव में रहनेवालों की भी मजबूत है, लेकिन गांव में लोग मरे हैं। मेरे रोहतक के गांव में भी पांच-छह आदमी मरे हैं, मगर यहां कुछ नहीं हुआ।”

आंदोलन की समन्वय समिति के सदस्य शिव कुमार शर्मा कक्का ने गांवों में कोरोना वायरस के फैलने के सवाल पर कहा,“ (दिल्ली की) सीमाओं पर जो लोग हैं, उनकी मौत नहीं हो रही है, लेकिन गांवों में जाने पर मौत हो रही है।” उन्होंने आरोप लगाया, “सरकार की अकर्मण्यता के कारण गांवों में कोरोना फैला है। अगर किसान कोरोना फैलाता तो बॉर्डर पर संक्रमण फैलता।” उल्लेखनीय है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने हाल में कहा था कि राज्य के गांवों में कोरोना वायरस संक्रमण किसान आंदोलन में आने-जाने वाले लोगों की वजह से फैला है। किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से दिल्ली की तीन सीमाओं टीकरी, सिंघू और गाज़ीपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार ये कानून तो वापस ले ही, साथ में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी भी दे। 

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