मुंबई: भारतीय नौसेना का सेवामुक्त विमानवाहक युद्धपोत INS विराट शनिवार को अपनी अंतिम समुद्री यात्रा पर गुजरात स्थित अलंग के लिए रवाना हुआ। अलंग में इस जहाज को टुकड़ों में काटकर कबाड़ के रूप में बेच दिया जाएगा। विशालकाय युद्धपोत विराट को पूर्व नौसैनिकों ने गेटवे ऑफ इंडिया से भावभीनी विदाई दी। मार्च 2017 में सेवामुक्त किए जाने के बाद नौसेना डॉकयार्ड से विराट की अंतिम यात्रा की शुरुआत हो गई थी। रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि विराट को शुक्रवार को ही जाना था लेकिन कुछ कारणों से एक दिन का विलंब हुआ।
पहले ब्रिटेन की शाही नौसेना में था यह शानदार युद्धपोत
INS विराट मूल रूप से ब्रिटेन की रॉयल नेवी में HMS हरमेस नामक युद्धपोत था। भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने के बाद इसका नाम भारतीय नौसैनिक पोत (INS) विराट रखा गया था। यह पोत मुंबई में 2017 में सेवामुक्त होने से पहले 30 वर्षों तक भारतीय नौसेना की सेवा में था। यह भारतीय बेड़े में एकमात्र युद्धपोत था जिसने ब्रिटेन की शाही नौसेना और बाद में भारतीय नौसेना में सेवा दी थी। तत्कालीन ब्रिटेन निर्मित जहाज ने 2258 दिनों तक समुद्र में रहकर भारतीय नौसेना की सेवा की और 5,90,000 समुद्री मील और 22,622 घंटे देश की सेवा में उड़ान संचालन को कवर किया।
नहीं सफल हुई INS विराट को संग्रहालय बनाने की कोशिश
विराट को संग्रहालय बनाने का प्रयास किया गया था लेकिन वह सफल नहीं हुआ। एमएसटीसी लिमिटेड द्वारा की गई एक नीलामी में इस जहाज को गुजरात के अलंग की श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा 38.50 करोड़ रुपये में खरीदा गया और इसी ग्रुप ने इस युद्धपोत के विघटन की जिम्मेदारी ली है। एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी के उच्च क्षमता वाले पोत विराट को समुद्र में खींच कर अलंग ले जा रहे हैं और इस गंतव्य तक पहुंचने में 2 दिन लगेंगे। अलंग में पोत का विघटन करने का विश्व का सबसे बड़ा यार्ड है।
बेहद शानदार रहा है INS विराट का रिकॉर्ड
'HMS हर्मिस' के रूप में इस युद्धपोत ने नवंबर 1959 से अप्रैल 1984 तक ब्रिटिश नौसेना की सेवा की थी। साल 1974 में प्रिंस चार्ल्स ने 'HMS हर्मिस' पर सवार 845 नेवल एयर स्क्वॉड्रन उड़ाए थे। बाद में इसे भारतीय नौसेना में ‘INS विराट' के रूप में मई 1987 में व्यापक नवीनीकरण और इसकी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के बाद शामिल किया गया था। करीब 1,500 क्रू दल के साथ वह लड़ाकू-तैयार हवाई जहाजों और हेलीकाप्टरों का एक बड़ा भार उठा सकता था। इसने अक्टूबर 2001-जुलाई 2002 में ऑपरेशन पराक्रम में भाग लिया, 18 जुलाई से 17अगस्त, 1989 तक श्रीलंका में ऑपरेशन पवन में भाग लिया, और अपने लंबे समुद्री करियर में उसने कई अन्य असाधारण उपलब्धियां हासिल की थीं।
‘पुराने पोत कभी मरते नहीं, अमर होते हैं’
रक्षा मंत्रालय के मुंबई स्थित जनंसपर्क कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘एक युग का अंत। भारतीय नौसेना के इतिहास का गौरवशाली अध्याय। युद्धपोत मुंबई से अपनी अंतिम यात्रा के लिए निकल रहा है। पुराने पोत कभी मरते नहीं। वे अमर होते हैं।’ विराट के अलावा भारतीय नौसेना के एक अन्य विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत को भी संग्रहालय बनाने का प्रयास विफल रहा था। सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों ने इसको लेकर पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना की। उनका कहना था कि युद्धपोत को कबाड़ के रूप में बेचने से अच्छा था कि उन्हें संग्रहालय बनाकर देश की सामुद्रिक शक्ति की धरोहर को सुरक्षित रखा जाता।