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आई बी और गृह मंत्रालय ने नेताजी से जूड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से इंकार

नई दिल्‍ली: नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के परिवारवालों की 20 साल तक जासूसी की खबर सामने आने के बाद खुफिया विभाग और ग्रह मंत्रालय ने सिरे से नकारते हुए कहा है कि "सुभाष चंद्र बोस

India TV News Desk
Updated on: April 11, 2015 9:15 IST
- India TV Hindi

नई दिल्‍ली: नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के परिवारवालों की 20 साल तक जासूसी की खबर सामने आने के बाद खुफिया विभाग और ग्रह मंत्रालय ने सिरे से नकारते हुए कहा है कि "सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी किसी भी फाइल को सार्वजनिक नहीं किया गया है।"  

खुफिया विभाग के अनुसार उसने नेताजी के मुतालिक कोई फाइल डी-क्‍लासिफाई (सार्वजनिक) नहीं की, हां ये जरूर है कि उनके अनऑफिसियल नोट्स जिन्हें (यूओ) कहा जाता है, वह अलग-अलग विभागों में जाते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'ये नोट्स कैबिनेट सचिवालय जाते हैं। वहां ये शायद कि‍न्हीं जनरल फाइल्स से मिल गए और उस विभाग ने इन्हें डी-क्‍लासिफाई (सार्वजनिक) करार कर नेशनल आर्काइव्स में भेज दिया होगा।'

1948-1968 के बीच हुई जासूसी नेहरू की मौत के 20 साल बाद तक चलती रही थी।

खुफिया विभाग मुताबिक इंटेलिजेंस ब्यूरो कभी अपनी फाइलो को सार्वजनिक नहीं करती। नेशनल आर्काइव्स में जो दस्तावेज़ भेजे जाते हैं वह अपने आप नियम के अनुसार डी क्लासीफाई हो जाते हैं। सिर्फ सीक्रेट और टॉप सीक्रेट दस्तावेज़ सार्वजनिक नहीं किये जाते।

18 अगस्त 1945 को जापान से एक विमान हादसे के बाद से नेताजी का कुछ पता नहीं चला है। सिर्फ उनके समर्थक कई सालों तक मानते रहे कि वो ज़िंदा हैं। कई बार उनके देखे जाने की खबरें भी आती रहीं, लेकिन सुभाष चन्द्र की मौत पर पर्दा पड़ा रहा। किसी भी सरकार ने उनकी मौत से जुड़े दस्तावेज़ों को सार्वजनिक नहीं होने दिया।

पिछले साल गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में प्रश्‍न काल के दौरान बताया था कि सरकार के पास 89 फाइलें है जिनमें से 29 विदेश मंत्रालय के पास हैं और 60 प्रधानमंत्री कार्यालय में और जो फाइल्स प्रधानमंत्री कार्यालय में थी उनमें से दो फाइल्स को नेशनल आर्काइव्स में भेजा गया था।

'इंडियाज बिगेस्‍ट कवर अप' के नाम से किताब लिखने वाले अनुज धर का कहना है कि नेताजी से जुड़े दस्तावेज़ों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

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