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वायुसेना के कमांडर लद्दाख में राफेल लड़ाकू विमानों को तैनात करने पर अगले सप्ताह चर्चा करेंगे

भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडर बुधवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय सम्मेलन में देश की वायु रक्षा प्रणाली की व्यापक समीक्षा करेंगे। इसमें चीन के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर लद्दाख क्षेत्र में राफेल लड़ाकू विमानों के पहले बेड़े की संभावित तैनाती पर भी चर्

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 19, 2020 22:55 IST
IAF commanders to discuss deployment of Rafale jets in Ladakh region at 3-day conference from Wednes- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) IAF commanders to discuss deployment of Rafale jets in Ladakh region at 3-day conference from Wednesday

नयी दिल्ली: भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडर बुधवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय सम्मेलन में देश की वायु रक्षा प्रणाली की व्यापक समीक्षा करेंगे। इसमें चीन के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर लद्दाख क्षेत्र में राफेल लड़ाकू विमानों के पहले बेड़े की संभावित तैनाती पर भी चर्चा की जाएगी। सैन्य सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि कमांडरों के लद्दाख सेक्टर में अगले महीने की शुरूआत तक करीब छह राफेल विमानों के प्रथम बेड़े को तैनात करने पर विशेष रूप से चर्चा करने की भी उम्मीद है। ये विमान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े में जुलाई के अंत तक शामिल किये जाने वाले हैं। 

एक सूत्र ने कहा, ‘‘कमांडर क्षेत्र में उभरते सुरक्षा हालात की समीक्षा करेंगे और वायुसेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। ’’ सम्मेलन की अध्यक्षता वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भी वायुसेना कमांडरों को संबोधित करने की उम्मीद है। वायुसेना पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पिछले कुछ हफ्तों से रात के समय में लड़ाकू हवाई गश्त कर रही है। 

इसका उद्देश्य संभवत: चीन को यह संदेश देना है कि वह इस पर्वतीय क्षेत्र में किसी भी अकस्मात स्थिति से निपटने के लिये बखूबी तैयार है। रक्षा मंत्री के क्षेत्र के दौरे के दौरान शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख के स्ताकना में एक सैन्य अभ्यास में वायुसेना की कई हथियार प्रणालियों ने भागीदारी की। इस अभ्यास में काफी ऊंचाई वाले क्षेत्र में जटिल सुरक्षा परिदृश्य से निपटने में थल सेना और वायुसेना की समन्वित लड़ाकू क्षमता का प्रदर्शन किया गया है। 

वायुसेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 जैसे अग्रिम मोर्चे के अपने लगभग सभी तरह के लड़ाकू विमान पूर्वी लद्दाख में अहम सीमांत वायुसेना ठिकानों और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगे स्थानों पर तैनात किये हैं। वायुसेना ने अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टर और विभिन्न अग्रिम स्थानों पर सैनिकों को पहुंचाने के लिये चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किये हैं। 

इसने भारी सैन्य उपकरणों एवं हथियार प्रणाली को क्षेत्र में कई अग्रिम ठिकानों पर पहुंचाने के लिये सी-17 ग्लोबमास्टर 3 परिवहन विमान और सी 130 जे सुपर हरक्लुस को सेवा में लगाया है। सूत्रों ने बताया कि कमांडर फ्रांस से मिलने वाले राफेल लड़ाकू विमानों की प्रथम खेप से जुड़ी तैयारियों पर भी चर्चा करेंगे। इन विमानों के इस महीने के अंत तक भारत पहुंचने की उम्मीद है। 

इस विमान के प्रथम स्क्वाड्रन को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर रखा जाएगा। इसे वायुसेना के सर्वाधिक सामरिक महत्व का अड्डा माना जाता है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर वार्ता होने के एक दिन बाद छह जुलाई से पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले विभिन्न स्थानों से दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। डोभाल और वांग सीमा मुद्दे पर वार्ता के लिये अपने-अपने देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं। 

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