नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के बडगाम में एक एमआई -17 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के सिलसिले में वायुसेना के पांच कर्मियों को दोषी पाया गया है और एक उच्चस्तरीय जांच के निष्कर्ष के अनुसार 27 फरवरी को एक मिसाइल का निशाना बनने के बाद वह हेलीकाप्टर गिर गया था। उसी दिन भारत और पाकिस्तान की वायुसेनाओं के बीच हवाई झड़प हुयी थी। सैन्य सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
घटना की छह महीने तक चली कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (सीओआई) में पाया गया कि एमआई-17 वी-5 हेलीकाप्टर को भारतीय वायुसेना की एक मिसाइल द्वारा निशाना बनाया गया था। उस समय हेलीकाप्टर श्रीनगर अड्डे पर लौट रहा था। हेलीकाप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से छह सैन्यकर्मियों सहित सात लोगों की मौत हो गयी थी।
सूत्रों ने बताया कि श्रीनगर बेस के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) सहित वायुसेना के पांच कर्मियों को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है और उन सब को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। एक सूत्र ने कहा, ‘‘सैन्य कानून के प्रावधानों के अनुसार दोषी कर्मियों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा कि वायुसेना के शीर्ष अधिकारी घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा के बारे में फैसला करेंगे। सूत्रों ने कहा कि वायुसेना सीओआई की रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करेगी। इसमें दोषी पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप लगाया जाना शामिल है।
भारतीय वायु सेना ने जांच के निष्कर्षों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं है। जांच में पाया गया कि हेलीकॉप्टर में वह प्रणाली बंद थी जिससे मित्र या दुश्मन की पहचान की जाती है। इसके साथ ही जमीनी अधिकारियों और हेलीकाप्टर के चालक दल के बीच संचार और समन्वय में तालमेल नहीं था।
इस प्रणाली के तहत हवाई रक्षा रडार से पहचान होती है कि कोई विमान या हेलीकॉप्टर अपना है या शत्रुओं का। जांच में यह भी पाया गया कि मानक संचालन प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ।वायुसेना मुख्यालय ने घटना की एयर कमोडोर रैंक के अधिकारी के तहत कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (सीओआई) का आदेश दिया था। वायुसेना ने मई में घटना की गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए श्रीनगर अड्डे के एयर ऑफिसर कमांडिंग का तबादला कर दिया था।