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मैं रोज डे का विरोधी नहीं, क्रिएटिव टैलेंट को आगे बढ़ाना है : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि वे कालेजों में छात्रों द्वारा मनाये जाने वाले रोज डे के विरोधी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि हमें रोबोट नहीं बनाने हैं बल्कि रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देना है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 11, 2017 16:41 IST
PM modi- India TV Hindi
Image Source : PTI PM modi

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि वे कालेजों में छात्रों द्वारा मनाये जाने वाले रोज डे के विरोधी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि हमें रोबोट नहीं बनाने हैं बल्कि रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि कालेजों में विभिन्न राज्यों के दिवस एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाना चाहिए। शिकागो में स्वामी विवेकानंद के भाषण की 125वीं वर्षगांठ पर दीनदायाल शोध संस्थान की ओर से आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कालेजों में कई तरह के डे मनाये जाते हैं। आज रोज डे है, कल कुछ और डे है । कुछ लोगों के विचार इसके विरोधी हैं और ऐसे कुछ लोग यहां भी बैठे होंगे। लेकिन मैं इसका विरोधी नहीं हूं। पीएम मोदी ने कहा कि हमें रोबोट तैयार नहीं करने हैं, रचनात्मक प्रतिभा को आगे बढ़ाना है। इसके लिये विश्वविद्यालय के कैम्पस से अधिक अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती है। 

उल्लेखनीय है कि बजरंग दल समेत कुछ दक्षिणपंथी संगठन विविद्यालय एवं कालेज परिसरों में मनाये जाने वाले रोज डे जैसे दिवसों का विरोध करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन क्या हमने कभी यह विचार किया है कि हरियाण का कोई कॉलेज तमिल दिवस मनाए, पंजाब का कोई कॉलेज केरल दिवस मनाए। उन्हीं जैसा पहनावा पहने, भाषा के प्रयोग का प्रयास करे, हाथ से चावल खाए, उस क्षेत्र के खेल खेले। 

उन्होंने कहा कि कॉलेज में छात्र तमिल फिल्म देंखे। वहां के कुछ छात्रों को आमंत्रित करें और उनसे संवाद बनाएं। इस प्रकार से हम शैक्षणिक संस्थाओं में मनाए जाने वाले दिवस को सार्थक रूप में मना सकते हैं। एक भारत, श्रेष्ठ भारत को साकार कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि जब तक हमारे मन में हर राज्य और हर भाषा के प्रति गौरव का भाव नहीं आएगा तब तक अनेकता में एकता का भाव कैसे साकार होगा। उन्होंने कहा कि हम कालेजों में सिख गुरूओं के बारे में चर्चा आयोजित कर सकते हैं, बता सकते हैं कि क्या-क्या बलिदान दिया सिख गुरूओं ने। 

उन्होंने कहा कि रचनात्मकता के बिना जिंदगी की सार्थकता नहीं हो सकती। हमें अपनी रचनात्मकता के जरिये देश की ताकत बनना चाहिए, आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्रयत्नशील होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने ग्यान और कौशल को एक दूसरे से अलग किया था और आज पूरे वि में कौशल विकास को महत्व दिया जा रहा है। हमारी सरकार ने कौशल विकास को तवज्जो दी है।

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