नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने युवा अधिकारी द्वारा कश्मीरी व्यक्ति का इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में किए जाने का पुरजोर बचाव करते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना घृणित युद्ध का सामना कर रही है, जिसे नये तरीके से लड़ने की जरूरत है। रावत ने कहा कि मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने का मुख्य उद्देश्य बल के युवा अधिकारियों का मनोबल बढ़ाना था जो आतंकवाद प्रभावित राज्य में बहुत मुश्किल परिस्थितियों में काम करते हैं। गोगोई के खिलाफ इस मामले में कोर्ट आफ इंक्वायरी जारी है।
रावत ने कहा, यह क्षद्म युद्ध है और क्षद्म युद्ध घृणित लड़ाई होती है। इसे घृणित तरीके से अंजाम दिया जाता है। संघर्ष के नियम तब लागू होते हैं जब विरोधी पक्ष आपसे आमने सामने लड़ता है। यह घृणित युद्ध है..ऐसे समय में नये तरीकों का जन्म होता है। आप नये तरीकों से घृणित युद्ध लड़ते हैं।
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पिछले महीने एक व्यक्ति को सेना की जीप से बांधने और पथराव करने वालों के खिलाफ उसका इस्तेमाल मानव कवच के रूप में करने वाले गोगोई को सेना प्रमुख ने सम्मानित किया था, जिसकी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, कश्मीरी समूहों और सेना के कुछ सेवानिवृत्त जनरलों ने आलोचना की थी। कश्मीरी व्यक्ति के मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल का वीडियो वायरल होने के बाद विवाद शुरू हो गया था और बड़ी संख्या में लोग इस घटना की निंदा कर रहे थे।
जनरल रावत ने कहा, लोग हम पर पथराव कर रहे हैं, पेट्रोल बम फेंक रहे हैं। ऐसे में जब मेरे कर्मी मुझसे पूछते है कि हम क्या करें तो क्या मुझे यह कहना चाहिए कि बस इंतजार करिए और जान दे दीजिए? मैं राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक अच्छा ताबूत लेकर आउंगा और सम्मान के साथ शव को आपके घर भेजूंगा। प्रमुख के तौर पर क्या मुझे यह कहना चाहिए? मुझे वहां तैनात सैनिकों को मनोबल बनाए रखना है। जनरल रावत ने कहा, वास्तव में मैं चाहता हूं कि ये लोग हम पर पथराव करने की बजाय हथियार चलाएं। तब मैं खुश होता। तब मैं वह करता जो मैं (करना चाहता हूं)।
जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक काम कर चुके जनरल रावत ने कहा कि किसी भी देश में लोगों में सेना का भय खत्म होने पर देश का विनाश हो जाता है। उन्होंने कहा, विरोधियों को आपसे डरना चाहिए और आपके लोगों में भी आपका भय होना चाहिए। हमारी मित्रतापूर्ण व्यवहार रखने वाली सेना हैं लेकिन कानून-व्यवस्था बहाल करने से जुड़ा सवाल आने पर लोगों में हमारा भय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि घाटी में किसी भी स्थिति से निपटते समय अधिकतम संयम का परिचय दिया जाता है।
जनरल रावत ने कहा, सेना प्रमुख के रूप में सेना का मनोबल मेरे लिये सबसे जरूरी है। वह मेरा काम है। मैं लड़ाई के मैदान से बहुत दूर हूं। मैं वहां परिस्थितियों को प्रभावित नहीं कर सकता। मैं केवल जवानों से यह कह सकता हूं कि मैं आपके साथ हूं। मैं हमेशा अपने लोगों से कहता हूं कि चीजें गलत हो सकती हैं लेकिन अगर ऐसा हुआ और आपका इरादा दुर्भावनापूर्ण नहीं है तो मैं वहां (हालात संभालने के लिये) हूं।