नई दिल्ली: जाने-माने राम कथा वाचक मोरारी बापू ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह अयोध्या में राम मंदिर के विवादास्पद मुद्दे की सुनवाई में देरी न करे, ताकि वहां मंदिर निर्माण जल्द हो सके।
आज रात इंडिया टीवी पर प्रसारित होनेवाले शो 'आप की अदालत' में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए मोरारी बापू ने कहा, 'मेरा पूरा अंत:करण राम मंदिर के साथ है, मंदिर होना चाहिए। मैं अदालत से प्रार्थना करता हूं कि अब डेट टाली न जाए। 29 जनवरी से सुनवाई शुरू होनेवाली है, जल्द से जल्द निर्णय दें तो आगे का कदम उठाने का रास्ता मिलेगा।'
उन्होंने कहा, 'मोदी जी के मन में कुछ होगा। वह संविधान की बात करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में ये जो मसला है, तो मैं अदालत से आग्रह करता हूं कि जो सुनाना हो सुना दें, ताकि भारत को पता लग सके कि हम किस रास्ते से राम मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे।'
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के उस बयान के बारे में जिसमें उन्होंने कहा था कि राजा दशरथ के महल में सैकड़ों कमरे थे और यह निश्चित नहीं है कि किस कमरे में राम का जन्म हुआ था, मोरारी बापू ने कहा, 'ये महल था राम का, इसी महल में राम का जन्म हुआ था तो मंदिर वहीं होना चाहिए।'
मोरारी बापू ने कहा, 'राजनीति में लोग साम, दाम, दंड, भेद करते हैं, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री की राष्ट्रभक्ति पर कोई ऊंगली नहीं उठा सकता।'
यह पूछे जाने पर कि वे अक्सर ग्रामीण इलाकों में आते-जाते रहते हैं तो लोकसभा चुनावों को लेकर उनका आकलन क्या है, राम कथा वाचक ने कहा, 'मैंने बहुत से गांवों में घूमा है, लोग सोचते हैं कि विकल्प है, लेकिन ज्यादातर देखा है तो लगता है कोई मिल जाए तो ठीक है।'
रजत शर्मा द्वारा यह पूछे जानेपर कि यदि कोई अच्छा विकल्प नहीं मिला तो, मोरारी बापू ने कहा, 'तो हैं ना, वो (मोदी) काम कर रहे हैं।'
राम कथा वाचक ने कहा, 'बहुत काम हुआ है, हो रहे हैं, लेकिन लोगों की मांगें इतनी है कि सबकी मांग पूरा करना मुश्किल है। मैं राजनीतिक आदमी नहीं कि लोगों से कहूं-इसको वोट दो, उसको वोट दो। लोग अपनी आत्मा चारों ओर देखकर जिसे पसंद करें, उसे वोट दें।'
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा लगातार मंदिर जाने के सवाल पर मोरारी बापू ने कहा, 'आधा ही सही मेरी तरफ जाम तो आया। अच्छा है वह मंदिर में जाएं, स्वागत है।'
अयोध्या में गणिकाओं के बीच उनके प्रवचन को लेकर कुछ हिंदू संतों द्वारा सवाल उठाए जाने पर मोरारी बापू ने कहा, 'ये स्टंट नहीं है। यह वंचित, उपेक्षित, तिरस्कृत के पास रहना मेरा स्टैंड है, स्टंट नहीं। किसी को नाराज़ करने का मेरा इरादा नहीं था।'
उन्होंने आगे कहा, 'कुछ लोग नाराज़ हुए होंगे गणिकाओं की सभा के कारण। गोस्वामी तुलसीदास ने राम चरित मानस में गणिकाओं को पतिताओं की पंक्ति में पहला स्थान दिया था। 1631 में जब रामचरित मानस का प्रकाशन अयोध्या में हुआ तो मैंने सोचा क्यों न उस विषय पर संवाद किया जाए। अयोध्या मोक्षदायिका नगरी है, उद्धार करनेवाली भूमि है और सरयू पतितपावनी है। मेरे आत्मविवेक ने कहा कि कथा वहीं होनी चाहिए। गणिकाओं के कारण अयोध्या अपवित्र हो जाए तो इस अयोध्या का मूल्य क्या रहेगा? ये शोचदायिनी कही जाएगी, मोक्षदायिनी नहीं कही जाएगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमान की तुलना दलितों और आदिवासियों से करने के बाद उठे विवाद पर मोरारी बापू ने कहा, 'हनुमान पवनपुत्र हैं। पवन न हिंदू, न मुसलमान, न ब्राह्मण न क्षत्रिय हैं। पवन जाति मुक्त हैं। पांचों तत्व जाति मुक्त हैं। अगर वर्ण में डालना चाहें तो राम से सबसे पहले ब्राह्मण के वेश में हनुमान मिले, जब राक्षसों का संहार किया तब क्षत्रिय का रूप धारण किया, जब राम को जन्म-जन्म कर्ज में रखा तो वैश्य बने और स्वयं सेवक बनकर शूद्र बने।'
मोरारी बापू ने कहा, 'हनुमान विशुद्ध वैज्ञानिक थे। इसमें कोई शक नहीं। कोई वैज्ञानिक ही सीता की खोज कर सकता था। राम के पास हनुमान से बुद्धिमान और बलिष्ठ लोग थे, लेकिन बिना वैज्ञानिक के ऊर्जा कहां छिपी है, इसकी खोज करना संभव नहीं था। इसी तरह महर्षि वाल्मीकि भी वैज्ञानिक थे। सगर्भा सीता को उन्हीं के पास रखा गया। जो ऊर्जा सगर्भा में है उसे कोई वैज्ञानिक ही समझ सकता है।‘