हैदराबाद: मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) के चांसलर फिरोज बख्त अहमद ने कैम्पस में सेक्स रैकेट, वेश्यावृत्ति और ड्रग्स के आरोपों की जांच की मांग की है, लेकिन विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि शिकायत फर्जी पाई गई। कुलाधिपति ने इस सप्ताह की शुरुआत में साइबराबाद पुलिस आयुक्त वी.सी. सज्जनार को पत्र लिखकर जांच कराने और आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।
कुलाधिपति ने बताया कि राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने उन्हें पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि कैम्पस में वेश्यावृत्ति, स्वास्थ्य केंद्र में सेक्स रैकेट चलाने और ड्रग्स का इस्तेमाल जैसी अवैध गतिविधियों के बारे में शिकायत मिली है। शिकायत की जांच के लिए उन्होंने पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा है। तेलंगाना के एक निवासी ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेजी थी, जिसने इसे राष्ट्रीय महिला आयोग को भेज दिया था। उन्होंने कहा, "मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता जिसने यह (शिकायत) भेजा था लेकिन चूंकि पीएमओ ने इसे एनसीडब्ल्यू को भेजा और एनसीडब्ल्यू ने मुझे लिखा, मैंने इसे गंभीरता से लिया।"
उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) में अपने संपर्कों के माध्यम से विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि विश्वविद्यालय में लंबे समय से इस तरह की गतिविधियां चल रही थीं और पूर्व में शिकायतें भी दर्ज कराई गई थीं।
अहमद ने आरोप लगाया कि इसी तरह की शिकायतों की जांच के लिए यूजीसी द्वारा 2018 में गठित एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने तत्कालीन कुलपति को क्लीनचिट दे दी, क्योंकि पैनल के प्रमुख को अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों द्वारा 'मैनेज' किया गया था। अब उनकी योजना राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखने की है, जिसमें पिछले कई वर्षों से यौन उत्पीड़न, सेक्स रैकेट, अवैध नियुक्तियों और धन के गबन के आरोपों की गहन जांच की मांग की गई है।
हालांकि प्रभारी कुलपति प्रो एस.ट रहमतुल्लाह ने बताया कि संस्थान के खिलाफ लगाए जा रहे 'निराधार' आरोपों से उन्हें दुख पहुंचा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा की गई जांच के दौरान गंभीर आरोप लगाने वाला पत्र फर्जी पाया गया।