जम्मू: अलगाववादी गुट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (Hurriyat Conference) के दोनों धड़ों पर केंद्र सरकार (Modi Government) बड़ा एक्शन ले सकती है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (Hurriyat Conference) के दोनों धड़ों पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के तहत प्रतिबंध लगाया जा सकता है। दरअसल, पाकिस्तान में संस्थानों द्वारा कश्मीरी छात्रों को MBBS सीटें देने की हालिया जांच से संकेत मिला है कि कुछ संगठनों ने उम्मीदवारों से एकत्र किए गए धन का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों की फंडिंग के लिए किया है। मिली जानकारी के अनुसार, यह संगठन हुर्रियत से जुड़े हुए हैं।
ऐसे में अधिकारियों के अनुसार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों गुटों पर UAPA की धारा 3(1) के तहत प्रतिबंध लगने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि इसके तहत अगर केंद्र सरकार को लगता है कि कोई संगठन, गैर-कानूनी संगठन बन गया है, तो वह आधिकारिक राजपत्र में अधिसूसचना जारी करके उसे गैरकानूनी घोषित कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की केंद्र सरकार की नीति के अनुसार लाया गया था।
बता दें कि बीते दो दशकों से भी ज्यादा वक्त से हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन की अगुवाई कर रहा है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस 26 समूहों के साथ 1993 में अस्तित्व में आया था। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान समर्थक और प्रतिबंधित संगठन जैसे- जमात-ए-इस्लामी, जेकेएलएफ और दुख्तारन-ए-मिल्लत भी शामिल थे।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी भी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में शामिल थी। 2005 में यह दो गुटों में टूट गया था, जिसमें मीरवाइज के नेतृत्व में नरमपंथी समूह था और कट्टरपंथी समूह का नेतृत्व सैयद अली शाह गिलानी ने किया।
केंद्र सरकार अभी तक जमात-ए-इस्लामी और जेकेएलएफ को UAPA के तहत प्रतिंबधित कर चुका है। अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादी गुटों को फंडिंग की जांच में अलगाववादी संगठनों और अलगाववादी नेताओं की कथित मिलीभगत का संकेत मिला है।
अधिकारियों ने बताया कि फंडिंग के मामले में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों के शामिल होने की बात भी पता चली है, जो प्रतिबंधित आतंकी संगठनों हिजबुल मुजाहिदीन, दुख्तारन-ए-मिल्लत और लश्कर-ए-तैयबा के सक्रिय आतंकवादियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।