नयी दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय उच्च शैक्षिक संस्थानों में सामान्य वर्ग के ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’’ लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू करने की रूपरेखा पर काम कर रहा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’’ तबकों के लिए नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दी है। भाजपा के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को आरक्षण दिया जाए।
सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय इस पर काम कर रहा है कि इस आरक्षण को लागू करने के लिए शैक्षिक संस्थानों में कितनी सीटों को बढ़ाने की जरुरत है। एक सूत्र ने कहा, ‘‘अभी यह रूपरेखा तैयार नहीं की गई है कि आरक्षण कैसे लागू किया जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त सभी विश्वविद्यालय और शैक्षिक संस्थान चाहे वे सरकारी हो या निजी उन्हें आरक्षण लागू करना होगा।’’
सूत्र ने कहा, ‘‘प्रारंभिक आकलन के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम जैसे अन्य प्रतिष्ठित उच्च शैक्षिक संस्थानों समेत देशभर में संस्थानों में करीब 10 लाख सीटें बढ़ानी होगी।’’ उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, देश में कुल 903 विश्वविद्यालय, 39000 से अधिक कॉलेज और 10,000 से अधिक संस्थान हैं। यह प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को प्राप्त 50 फीसदी आरक्षण से अलग होगा और इससे कुल आरक्षण 60 फीसदी हो जाएगा।